सीधी जिले के जनपद पंचायत कुसमी के अंतर्गत महिला बाल विकास परियोजना के लिए पंचायतों के खातों में भवन निर्माण हेतु राशि भेजी गई थी। हालांकि, कई आंगनवाड़ी केंद्रों के भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है, और शासन की राशि का दुरुपयोग किया गया है। इस वजह से 19 आंगनवाड़ी केंद्रों को अभी तक भवन प्राप्त नहीं हुए हैं, और इस मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
Sidhi News:- राशि का दुरुपयोग और निर्माण कार्य की स्थिति
जनपद पंचायत कुसमी की सामान्य प्रशासन समिति की बैठक में इस गंभीर मुद्दे का खुलासा हुआ। जनप्रतिनिधियों ने इस पर नाराजगी जताई, और यह तथ्य सामने आया कि जनपद सीईओ को भी मामले की जानकारी नहीं थी। जनपद पंचायत कुसमी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने परियोजना की सुपरवाइजर से पूरी सूची मांगकर जांच शुरू की थी, लेकिन अब मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया है।
भवन निर्माण की स्थिति:
- ग्राम पंचायत दुआरी क्रमांक 1: 2020 में 7 लाख रुपये भेजे गए थे, लेकिन कार्य शुरू नहीं हुआ।
- जूरी आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2: 2021/22 में 4 लाख रुपये मनरेगा से दिए गए, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ।
- रौहल आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 1: 2020 में 7 लाख रुपये भेजे गए थे, निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ।
- खैरी क्रमांक 2: 2009 में 2.50 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, केवल छत तक निर्माण हुआ और अब भवन गिर गया है।
- गिजोहर: 2010 में 1.34 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, निर्माण अधूरा है।
- बहेराडोल क्रमांक 2: 2011 में 5.83 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, भवन में छपाई, खिड़की और दरवाजा नहीं है।
- लवाही: 2014 में 8.11 लाख रुपये आईएपी से दिए गए, निर्माण केवल नींव तक ही हुआ है।
- भुइमाड केंद्र क्रमांक 2: 2014 में 8.11 लाख रुपये आईएपी से दिए गए, छत तक ही निर्माण हुआ है।
- शंकरपुर क्रमांक 2: 2012 में 4 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, निर्माण अधूरा है।
- शंकरपुर क्रमांक 3: 2011 में 5.83 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, निर्माण कार्य अधूरा है।
- शंकरपुर क्रमांक 1: 2011 में 4 लाख रुपये दिए गए, कोई कार्य नहीं हुआ।
- गोतरा क्रमांक 3: 2011 में 4 लाख रुपये दिए गए, दीवार स्तर तक ही निर्माण हुआ है।
- गोतरा क्रमांक 5: 2011 में 5.83 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, दीवार स्तर तक ही निर्माण हुआ है।
- बजबई केंद्र क्रमांक 2: 2011 में 5.83 लाख रुपये अन्य मत से दिए गए, केवल नींव तक निर्माण हुआ है।
- रामपुर क्रमांक 2: 2011 में 5.83 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, छत तक निर्माण हुआ है लेकिन भवन अब क्षतिग्रस्त हो गया है।
- गुडुआधार क्रमांक 1: 2005 में 1.25 लाख रुपये विश्व बैंक से दिए गए, दीवार स्तर तक निर्माण हुआ है और अब क्षतिग्रस्त है।
- गुडुआधार क्रमांक 3: 2011 में 5.83 लाख रुपये दिए गए, निर्माण अधूरा है।
- टमसार क्रमांक 3: 2008 में 2.50 लाख रुपये बीआरजीएफ से दिए गए, कार्य अधूरा है।
- ददरिहा: 2011 में 4 लाख रुपये दिए गए, निर्माण अधूरा है।
सारांश और कार्रवाई की आवश्यकता
इस मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि आखिरकार जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित क्यों नहीं किया गया। यदि समय रहते इस मामले पर ठोस कार्रवाई की जाती, तो इन आंगनबाड़ी केंद्रों को आज तक भवन मिल चुका होता। प्रशासनिक लापरवाही और ठेकेदारों की लापरवाही ने गरीब बच्चों के भविष्य को प्रभावित किया है। वरिष्ठ अधिकारियों को इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके और समाज के सबसे कमजोर वर्ग को उचित सुविधा प्रदान की जा सके।
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