Microsoft के CEO Satya Nadella ने माना कि Windows से Google उतना पैसा कमा रहा है, जितना खुद Microsoft भी नहीं कमा पाया।
तकनीकी दुनिया में एक दिलचस्प बयान सामने आया है, जिसमें Microsoft के CEO Satya Nadella ने कहा है कि Google अपने वेब ब्राउज़र Chrome और अन्य सेवाओं के जरिए उतना पैसा कमा रहा है, जितना Microsoft अपने Windows ऑपरेटिंग सिस्टम से भी नहीं कमा पाया। हां, आपने सही सुना। Windows ऑपरेटिंग सिस्टम पर नियंत्रण रखने वाली Microsoft, जिसके पास डिवाइस और सॉफ़्टवेयर का सम्राज्य है, वही अपने प्रतिद्वंद्वी Google के सामने अप्रत्यक्ष रूप से हार रही है, और इस हार का कारण Chrome ब्राउज़र है।
अब आप सोच रहे होंगे, यह कैसे संभव है? चलिए, आपको बताते हैं इस बयान के पीछे की पूरी कहानी।
गुरु-चेले की कहानी: Microsoft और Google का संघर्ष
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल दोनों ही टेक्नोलॉजी के दिग्गज हैं, लेकिन हाल के सालों में यह स्पष्ट हो गया है कि ब्राउज़िंग के मामले में Google का दबदबा है। जैसा कि सत्य नडेला ने स्वीकार किया, “हम डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम पर जीत रहे हैं, लेकिन असल में गूगल से हार रहे हैं।” यह एक तरह से स्वीकारोक्ति है कि ब्राउज़िंग, सर्च और विज्ञापन के मामले में गूगल पूरी दुनिया में प्रमुख खिलाड़ी बन चुका है।
यहां पर एक और दिलचस्प तथ्य है। भले ही Microsoft Windows के साथ बड़े पैमाने पर कंट्रोल रखता है, लेकिन उपयोगकर्ता की प्राथमिकता Chrome ब्राउज़र पर टिकी है। 2008 में Google Chrome के लॉन्च के बाद से, यह वेब ब्राउज़िंग का सबसे पसंदीदा टूल बन चुका है, जो Microsoft के Internet Explorer को पीछे छोड़ चुका है। अब, चाहे आप Windows का इस्तेमाल करें या MacBook का, या Android का हो या iPhone का—ब्राउज़िंग की दुनिया में गूगल का प्रभुत्व साफ तौर पर देखा जा सकता है।
Google Chrome की कमाई: कैसे Google कमा रहा है?
नडेला ने कहा कि Google की कमाई का सबसे बड़ा स्रोत Chrome है। यह ब्राउज़र केवल एक साधारण वेब सर्फिंग टूल नहीं है, बल्कि गूगल को हर क्लिक और विज्ञापन से पैसे मिलते हैं। और चौंकाने वाली बात यह है कि Google हर साल Apple को मोटी रकम अदा करता है ताकि उसका ब्राउज़र Apple के डिवाइस पर डिफॉल्ट ब्राउज़र बना रहे। यानी, Apple डिवाइस में ब्राउज़िंग का बड़ा हिस्सा Google के हाथ में है।
गूगल का व्यापार मॉडल सीधे तौर पर उपयोगकर्ता की डेटा और विज्ञापन पर निर्भर करता है, और यही कारण है कि यह ब्राउज़र कंपनी के लिए लाभ का एक बड़ा स्रोत बन चुका है। इसके अलावा, गूगल की अन्य सेवाएं जैसे Google Search, YouTube, और Google Ads भी इसके अरबों डॉलर के राजस्व का हिस्सा हैं।
Satya Nadella और Microsoft का नया रुख
सत्य नडेला ने माना कि इस समय Microsoft के लिए यह एक विशेष दौर है। हाल ही में, Microsoft ने Apple के साथ कुछ रणनीतिक साझेदारियां की हैं, जिनमें OpenAI का ChatGPT को Apple डिवाइस पर लाने की बात भी शामिल है। Nadella को उम्मीद है कि AI आधारित सर्च इंजन और अन्य सेवाएं Microsoft को Google Chrome के मुकाबले एक नई दिशा दे सकती हैं।
नडेला का यह बयान दिखाता है कि माइक्रोसॉफ्ट की रणनीति अब गूगल के मुकाबले एआई और सर्च इंजन पर केंद्रित हो सकती है। जैसा कि नडेला ने कहा, “हमारे पास Windows, Office और Azure जैसी सेवाएं हैं, लेकिन गूगल का पावर ब्राउज़िंग और सर्च से आता है। और अब हम एआई के जरिए इस मोर्चे पर मुकाबला करेंगे।”
भविष्य की दिशा
माइक्रोसॉफ्ट के लिए अब आने वाला समय और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि गूगल ने अपने ब्राउज़र Chrome और विज्ञापन नेटवर्क के जरिए एक विशाल साम्राज्य बना लिया है। हालांकि, नडेला की नजरें अभी भी भविष्य पर हैं, और वह Microsoft के लिए एआई और क्लाउड सर्विसेज के जरिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं।
अगर AI और ChatGPT जैसी नई तकनीकों का सही उपयोग किया जाता है, तो Microsoft गूगल के सामने एक मजबूत चुनौती पेश कर सकता है।
हालांकि, फिलहाल Google का दबदबा कायम है, और वह इंटरनेट ब्राउज़िंग से लेकर विज्ञापन, सर्च और डेटा तक सभी मोर्चों पर अपनी बादशाहत बनाए हुए है। इस बीच, माइक्रोसॉफ्ट के लिए यही सबसे बड़ा सवाल है—क्या वह भविष्य में इस जंग को जीत पाएगा, या फिर गूगल की तरह एक नया युग लाने की कोशिश करेगा?
निष्कर्ष
सत्य नडेला का यह बयान एक संकेत है कि तकनीकी दुनिया में आजकल का मुकाबला केवल ऑपरेटिंग सिस्टम या डिवाइस तक सीमित नहीं है। ब्राउज़िंग, सर्च और विज्ञापन से पैसा कमाना अब बड़े खेल का हिस्सा बन चुका है, और यहां पर गूगल ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। माइक्रोसॉफ्ट के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, लेकिन अगर कोई कंपनी अपनी रणनीति में बदलाव लाती है, तो सब कुछ संभव है।
यह भी पढ़े:- दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर बिगड़ी AQI ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचा ठंड से प्रदूषण बढ़ा