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महाकुंभ में भगदड़: संगम तट पर मची अफरा-तफरी, कई श्रद्धालु बिछड़े, प्रशासन पर उठे सवाल

प्रयागराज: मौनी अमावस्या स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे थे, लेकिन रात के सन्नाटे को चीरती चीख-पुकार और भगदड़ ने महाकुंभ में अफरा-तफरी मचा दी। 29 जनवरी की सुबह संगम तट का नजारा भयावह था—हर तरफ लोगों के सामान, जूते-चप्पल और कपड़े बिखरे हुए थे।

कैसे मची भगदड़?

पत्रिका रिपोर्टर्स प्रतीक पांडेय, श्रीकृष्ण राय, अभिषेक सिंह और सौरभ विद्यार्थी ने घटनास्थल से आंखों देखी रिपोर्ट दी। उनके अनुसार, रात 1 बजे संगम तट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई मुख्य संगम पर स्नान करना चाहता था, जिससे बैरिकेडिंग पर दबाव बढ़ा और वे टूट गए। इस दौरान कुछ महिलाएं गिर पड़ीं और भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई।

अस्पतालों में मची अफरा-तफरी

रात 2 बजे के आसपास एंबुलेंस की आवाजें गूंजने लगीं। जब रिपोर्टर्स ढाई बजे स्वरूपरानी अस्पताल और केंद्रीय अस्पताल पहुंचे, तो वहां घायलों की भीड़ लगी थी। कई लोग गंभीर रूप से घायल थे, तो कुछ बेहोश पड़े थे। डॉक्टर और नर्सें लगातार इलाज में जुटी थीं।

एक चश्मदीद महिला ने रोते हुए बताया:
“अचानक भीड़ आई और भगदड़ मच गई। मैं पिछले दो घंटे से अपने परिवार को ढूंढ रही हूं। बैग, फोन सब खो गया। मुझे नहीं पता कि जिनके साथ आई थी, वे सुरक्षित हैं या नहीं।”

प्रशासन की चूक पर सवाल

एक प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाया कि आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था, जिससे हादसा हुआ। उन्होंने कहा:
“अगर प्रशासन ने अलग-अलग प्रवेश और निकास मार्ग बनाए होते, तो यह हादसा नहीं होता। कुछ महिलाएं गिर पड़ीं और उनकी मदद करने के बजाय भीड़ आगे बढ़ने लगी। इससे भगदड़ और बढ़ गई।”

पुलिस पर लापरवाही के आरोप

एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि जब भगदड़ मची, तो पुलिस फोर्स वहां से हट गई और लोग अपने हाल पर छोड़ दिए गए।
“हमने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई बचाने नहीं आया। लोग एक-दूसरे को कुचलते चले गए।”

स्थिति नियंत्रण में, लेकिन कई लोग अब भी लापता

प्रशासन का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन कई श्रद्धालु अभी भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, और प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

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इस हादसे ने एक बार फिर महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर बेहतर योजनाएं और व्यवस्थाएं अपनाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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