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महाकुंभ में यूट्यूबर्स पर संतों की नाराजगी, धर्म और आध्यात्म पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान यूट्यूबर्स की गतिविधियों को लेकर संतों और अखाड़ों से जुड़े महंतों ने नाराजगी जताई है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में धर्म और आध्यात्म की बात होनी चाहिए, न कि लोकप्रियता और मनोरंजन के लिए बनाए गए कंटेंट पर फोकस।

यूट्यूबर्स पर आरोप

  • संतों ने आरोप लगाया कि यूट्यूबर्स महाकुंभ में तपस्वियों और परंपरागत संतों के बजाय IITian बाबा अभय सिंह, एंकर हर्षा रिछारिया और मोनालिसा जैसे लोगों को दिखा रहे हैं।
  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि यूट्यूबर्स ने संतों की निजता में हस्तक्षेप किया है।
  • संतों के अनुसार, ऐसे वीडियो बनाने से कुंभ का उद्देश्य भटक जाता है, और असली तपस्वियों के योगदान को नजरअंदाज किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  1. परंपरागत संतों पर ध्यान देने की अपील
    महंत रवींद्र पुरी ने यूट्यूबर्स से कहा कि वे परंपरा और त्याग करने वाले संतों को दिखाएं, न कि मनोरंजन और सनसनी फैलाने वाले व्यक्तियों को।
  2. महिला संतों की प्रतिक्रिया
    • निरंजनी अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि यूट्यूबर्स का ध्यान तपस्वियों से हटकर व्यक्तिगत लोकप्रियता पर केंद्रित हो गया है।
    • उन्होंने हर्षा रिछारिया और मोनालिसा का उल्लेख करते हुए कहा कि कुंभ की वास्तविकता और तपोभूमि को दिखाने के बजाय, यूट्यूबर्स ने इन पर ध्यान केंद्रित किया है।
  3. IITian बाबा पर सवाल
    संतों ने IITian बाबा अभय सिंह को मानसिक रूप से असंतुलित बताते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तियों को दिखाना धर्म और आध्यात्म की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
  4. महामंडलेश्वर ऋषि भारतीय का बयान
    • ऋषि भारतीय ने कहा कि कुंभ में धर्म और आध्यात्म पर चर्चा होनी चाहिए।
    • उन्होंने कहा कि एक्ट्रेस या अन्य लोग भगवा चोला पहनकर अगर कुंभ में आते हैं, तो इससे संतों की गरिमा कम होती है।

संतों की मांग

  • यूट्यूबर्स कुंभ में धर्म, आध्यात्म, और तपस्वियों की साधना पर ध्यान केंद्रित करें।
  • कुंभ के असली संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में योगदान दें।
  • ऐसे कंटेंट से बचें जो आयोजन की गरिमा को कम करे और सनसनी फैलाए।

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महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिकता और परंपराओं का प्रचार-प्रसार करना है। संतों की यह अपील इस बात पर जोर देती है कि डिजिटल माध्यमों का उपयोग सही दिशा में होना चाहिए ताकि आयोजन का पवित्र उद्देश्य साकार हो सके।

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