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कोंकण फिर हमारा होगा: उद्धव ठाकरे का हुंकार, पर नेताओं का पलायन जारी

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बाद राजनीतिक हलचलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को चुनावी हार के बाद गहरे झटकों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के कई वरिष्ठ और स्थानीय स्तर के नेता लगातार इस्तीफा देकर प्रतिद्वंद्वी खेमों का रुख कर रहे हैं। इस बीच उद्धव ठाकरे ने अपने बयानों से फिर सियासी तापमान बढ़ा दिया है।

उद्धव ठाकरे ने हाल ही में कोंकण क्षेत्र में पार्टी की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम कोंकण पर फिर काबिज होंगे। लोगों को एक बार मूर्ख बनाया जा सकता है, हर बार नहीं।” उन्होंने दावा किया कि असली शिवसेना उन्हीं की है और वे ही पार्टी की मूल विचारधारा के सच्चे वाहक हैं।

हालांकि, जमीनी हकीकत इस समय उद्धव गुट के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। रविवार को शिवसेना (UBT) के दो नेता, संजय और संजना घाडी, पूर्व पार्षद नाना अंबोले समेत कई उपशाखा प्रमुख, शाखा प्रमुख और कार्यकर्ता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर असंतोष और अस्थिरता को उजागर कर दिया है।

शिंदे का पलटवार: जनता ने असली शिवसेना को चुना

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा, “जनता ने असली शिवसेना को स्वीकार कर मुहर लगा दी है। हमारी महायुति सरकार ने जनहित में काम किया है और इसका असर चुनावी नतीजों में दिखा।” उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ा और 60 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि उद्धव गुट 100 में से केवल 20 सीटें जीत सका।

एनसीपी में भी हो रहा है शिवसैनिकों का समावेश
कोंकण क्षेत्र के रोहा तालुका प्रमुख समीर शेडगे ने भी शिवसेना (UBT) के सभी पदों से इस्तीफा देकर अजित पवार की एनसीपी का दामन थाम लिया। शेडगे ने एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की। यह कदम ठाकरे गुट के लिए और बड़ा झटका माना जा रहा है।

बीजेपी का तंज: प्रत्याशी तक नहीं मिलेंगे
वहीं, बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि शिवसेना (UBT) को अब मुंबई महानगरपालिका चुनाव के लिए प्रत्याशी ढूंढ़ने में भी मुश्किल होगी। उन्होंने कहा कि “मुंबई में 55 से ज्यादा नगरसेवक पहले ही शिंदे खेमे में शामिल हो चुके हैं। अब हालत ऐसी है कि नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए घर-घर जाकर उम्मीदवार तलाशने पड़ेंगे।”

कोंकण में पिछड़ गया उद्धव गुट
2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) को कोंकण क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ। रायगढ़ और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग जैसे गढ़ बीजेपी और एनसीपी के हाथ लगे, जबकि विधानसभा में केवल गुहगर सीट ही उद्धव गुट के पास रही। इससे दक्षिण कोंकण में पार्टी की स्थिति लगभग शून्य हो गई।

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हालांकि उद्धव ठाकरे अब भी राजनीतिक वापसी की उम्मीद के साथ कोंकण को पुनः जीतने का दावा कर रहे हैं, लेकिन पार्टी से हो रहे लगातार पलायन और कमजोर जमीनी पकड़ के चलते उनकी राह आसान नहीं दिखती। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में शिवसेना (UBT) खुद को किस तरह पुनर्गठित कर मैदान में उतारती है।

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