मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बुधवार को छिंदवाड़ा में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि “गर्व से कहो हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं।” सिंघार ने आदिवासी समाज से अपील की कि वह अपनी पहचान और संस्कृति को बनाए रखे और एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाए।
सभा के दौरान उन्होंने धार्मिक संदर्भ देते हुए कहा कि रामायण में शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे और शबरी एक आदिवासी महिला थीं। उन्होंने कहा कि यह उदाहरण साबित करता है कि आदिवासी समाज की अपनी अलग परंपराएं और संस्कृति हैं, जिन पर गर्व किया जाना चाहिए।
सिंघार ने आगे कहा कि आज जरूरत है कि आदिवासी समाज अपनी अस्मिता को पहचाने और किसी भी तरह की राजनीतिक या सामाजिक उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाए। उन्होंने कहा कि चाहे वह नेता हों या अधिकारी, सभी को आदिवासी समुदाय की एकजुटता और मजबूती का अहसास होना चाहिए।

राजनीतिक मायने
उमंग सिंघार का यह बयान राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा करने वाला माना जा रहा है। आदिवासी इलाकों में पहले से ही पहचान की राजनीति पर जोर है और आने वाले समय में इस तरह के वक्तव्य का असर चुनावी समीकरणों पर भी पड़ सकता है।
आदिवासी समाज की भूमिका
मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी लगभग 21 प्रतिशत है और यह कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाती है। यही वजह है कि हर दल आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश करता है। सिंघार का यह बयान न सिर्फ समाज को संदेश देने की कोशिश है, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी हैं।
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सभा में उमंग सिंघार ने आदिवासी युवाओं से शिक्षा, रोजगार और अधिकारों के प्रति सजग रहने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि समाज तभी मजबूत होगा जब वह अपनी संस्कृति और पहचान को सहेजते हुए आधुनिक विकास की ओर बढ़ेगा।