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दिल्ली:-आतिशी मार्लेना होंगी दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में चुनी गईं केजरीवाल की उत्तराधिकारी

इस सस्पेंस से पर्दा हट गया. आतिशी ही दिल्ली की नई सीएम होंगी. अरविंद केजरीवाल ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. आम आदमी पार्टी विधायक दलों की मंगलवार को बैठक में अरविंद केजरीवाल ने ही आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव पर सबने सर्वसम्मति से हामी भर दी. इस तरह आतिशी अब सीएम की रेस जीत चुकी हैं. सीएम पद की रेस में सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और राखी बिड़ला समेत कई नाम थे, जो अब पिछड़ गए. अब सवाल उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को ही दिल्ली का नया सीएम क्यों बनाया है? तो इसके कई कारण हैं.

दिल्ली

आतिशी को अरविंद केजरीवाल का भरोसेमंद और काफी करीबी माना जाता है. आतिशी आम आदमी पार्टी की कोई नई नेता नहीं हैं, बल्कि वह अन्ना आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल और संगठन के साथ जुड़ी हैं. महज पांच साल के भीतर उन्होंने अपनी काबलियत से विधायक से मंत्री तक का सफर तय किया है. आतिशी 2020 में पहली बार कालकाजी से विधायक बनी थीं. उन्हें साल 2023 में अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री बद मिला और अब साल 2024 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं. इस तरह से देखा जाए तो उनका सियासी सफर काफी चमत्कारी रहा है.

सरकार में मजबूत चेहरा

आतिशी दिल्ली सरकार की सबसे ताकतवर मंत्री हैं. केजरीवाल और उनके डिप्टी सिसोदिया के जेल जाने के बाद उन्होंने ही पार्टी को पूरी ताकत से संभाला. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर जब तिरंगा फहराना था तो सीएम केजरीवाल ने आतिशी के ही नाम की सिफारिश की थी. केजरीवाल को यह भी पता है कि सीएम फेस ऐसा होना चाहिए जो दिल्ली एलजी से अक्सर चलने वाली तकरार का सामना कर सके. 43 साल की आतिशी ऐसे तमाम पैरामीटर पर फिट बैठती हैं.

महिला चेहरा

कालका जी से विधायक हैं आतिशी. महिला चेहरा होने के साथ ही उनकी साफ-सुथरी छवि है. सफल मंत्री के रूप में दिल्ली में पहचान बनी है. आतिशी फिलहाल 10 से ज्यादा मंत्रालयों की जिम्मेदारी देख रही हैं. अब साफ हो गया है कि अगले चुनाव तक दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी वही संभालेंगी. इससे केजरीवाल पार्टी के विस्तार खासतौर से हरियाणा विधानसभा चुनाव पर फोकस कर सकेंगे.

AAP को नई पहचान दिलाने की पहल

अब तक आम आदमी पार्टी को सिर्फ अरविंद केजरीवाल केंद्रित माना जाता रहा है लेकिन इस फैसले से केजरीवाल ने खुद पार्टी को व्यापक आयाम देने की कोशिश की है. वह पार्टी को नई पहचान देना चाहते हैं.

विश्वासपात्र
आम आदमी पार्टी के नजरिए से देखें केजरीवाल ने मास्टरस्ट्रोक चला है. महिला कार्ड खेला, वो भी ऐसी महिला पर, जो काफी एक्टिव हैं. स्कूल एजुकेशन पर वे क्रेडिट लेते रहे हैं, उस पर आतिशी ने काफी काम किया है. वह अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों की विश्वासपात्र हैं. बिहार और झारखंड में जिस तरह सीएम पद को लेकर टेंशन हुई उससे भी केजरीवाल दूर रहना चाह रहे होंगे.

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