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राजस्थान की राजनीति में हलचल, वसुंधरा राजे ने जोधपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत से की मुलाकात

जोधपुर राजस्थान की सियासत में बुधवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की। यह मुलाकात जोधपुर के लाल सागर क्षेत्र स्थित आदर्श डिफेंस एंड स्पोर्ट्स एकेडमी में हुई, जहां भागवत इन दिनों ठहरे हुए हैं। दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत चली, जिसने प्रदेश की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।

मुलाकात का ब्यौरा गुप्त, लेकिन चर्चाएं तेज

हालांकि बातचीत का आधिकारिक ब्यौरा सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस दौरान राजस्थान भाजपा संगठन में संभावित फेरबदल और पार्टी की भावी रणनीति पर चर्चा हुई। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बातचीत में राष्ट्रीय नेतृत्व और संगठन की दिशा पर भी विचार-विमर्श हुआ।

दरअसल, मोहन भागवत 1 सितंबर को जोधपुर पहुंचे हैं और 10 सितंबर तक यहीं रहने वाले हैं। उनके प्रवास के दौरान 5 से 7 सितंबर तक जोधपुर में अखिल भारतीय समन्वय बैठक आयोजित हो रही है। इस बैठक में संघ परिवार से जुड़े 32 संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी इसमें मौजूद रहेंगे।

RSS की तैयारियों में जुटे वरिष्ठ पदाधिकारी

समन्वय बैठक को लेकर संघ के शीर्ष पदाधिकारी पहले ही जोधपुर पहुंच चुके हैं। मंगलवार को संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, सी.आर. मुकुंदा, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, आलोक कुमार, अतुल लिमये और कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैध जैसे वरिष्ठ चेहरे यहां पहुंचे। इस आयोजन को लेकर स्वयंसेवक लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं।

वसुंधरा का जोधपुर दौरा

वसुंधरा राजे सोमवार को जोधपुर पहुंची थीं। इसके बाद वे मंगलवार को जैसलमेर के मोहनगढ़ गईं, जहां उन्होंने कर्नल सोनाराम को श्रद्धांजलि दी। इसी दौरान उनकी मोहन भागवत से मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।

हाल ही में दिया था “वनवास” का बयान

गौरतलब है कि वसुंधरा राजे ने हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। इस मुलाकात को उनकी सक्रिय भूमिका की वापसी का संकेत माना गया था। वहीं धौलपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि “वनवास हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन यह भी सच है कि वनवास आता है तो जाता भी है।” उनके इस बयान को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए गए थे।

सियासी मायने

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन भाजपा की आंतरिक राजनीति को लेकर हलचल जारी है। वसुंधरा राजे लंबे समय से सक्रिय राजनीति में अपेक्षाकृत शांत रही हैं, लेकिन उनकी हालिया मुलाकातों और बयानों ने यह संकेत दे दिया है कि वे एक बार फिर बड़े रोल में दिख सकती हैं।

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मोहन भागवत जैसे शीर्ष नेता से उनकी मुलाकात यह संदेश देती है कि संघ और भाजपा संगठन में उनके कद और महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में राजस्थान की राजनीति में यह मुलाकात किस तरह का असर डालती है।

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