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संभल जा रहे राहुल-प्रियंका को गाजीपुर बॉर्डर पर रोका गया, यूपी पुलिस की गाड़ी में भी जाने को तैयार थे दोनों नेता

गाजीपुर बॉर्डर पर कांग्रेस नेताओं का काफिला रोका, राहुल गांधी का प्रशासन से लगातार विवाद

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा से प्रभावित परिवारों से मिलने के लिए कांग्रेस के दो प्रमुख नेता, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, अपने काफिले के साथ निकल पड़े थे, लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें गाजीपुर बॉर्डर पर रोक लिया। पुलिस ने दोनों नेताओं के काफिले को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी, और इन जिलों की सीमाएं भी सील कर दी थीं, जिसमें गाजियाबाद, नोएडा, अमरोहा और बुलंदशहर शामिल थे।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की योजना थी कि वे संभल जाकर पीड़ित परिवारों से मिलें और उन्हें सांत्वना दें। हालांकि, पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया और धारा 163 का हवाला देकर उन्हें वहां रुकने को कहा। राहुल गांधी ने प्रशासन से आग्रह किया कि वे केवल 5 लोगों के साथ, पुलिस की गाड़ी में यात्रा करेंगे और जल्दी ही वापस लौट आएंगे, लेकिन प्रशासन इस पर भी सहमत नहीं हुआ। इसके बाद राहुल गांधी ने अकेले जाने की बात भी कही, लेकिन फिर भी प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी।

पुलिस और प्रशासन का नजरिया

गाजीपुर पुलिस के डीसीपी निमिष पटेल ने राहुल गांधी से बातचीत की और उन्हें संभल के मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राहुल गांधी से आगे न जाने का अनुरोध किया, लेकिन राहुल गांधी अडिग रहे और उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखने की इच्छा व्यक्त की।

इस घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह लोकतंत्र का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सिर्फ पीड़ित परिवारों के साथ समय बिताने और उनकी समस्याओं को समझने के लिए जा रहे थे, लेकिन उन्हें रोकना तानाशाही की तरह है। रमेश ने यह भी कहा कि विपक्षी नेताओं को लोकतांत्रिक तरीके से काम करने का पूरा अधिकार है और उन्हें इससे वंचित किया जा रहा है।

पुलिस की पूर्व तैयारी और घेराबंदी

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का काफिला रोकने के लिए यूपी पुलिस ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। 3 दिसंबर से ही पुलिस की सक्रियता बढ़ गई थी, और हापुड़ में कांग्रेस जिला अध्यक्ष के घर पर बल का प्रयोग किया गया। इसके अलावा, आसपास के जिलों में कई कांग्रेसी नेताओं के घरों पर पुलिस पहुंची थी। इससे पहले 30 नवंबर को समाजवादी पार्टी और 1 दिसंबर को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने भी संभल जाने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी घेरकर रोक दिया। स्थानीय प्रशासन ने 10 दिसंबर तक संभल में नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

संभल में बढ़ती राजनीति और प्रशासन की सख्ती

इस घटनाक्रम से यह साफ है कि संभल में राजनीतिक तापमान काफी बढ़ चुका है और प्रशासन ने इलाके में आने-जाने को लेकर कड़ी सख्ती बरती है। कांग्रेस के नेताओं द्वारा पीड़ितों से मिलने की योजना को लेकर बढ़ते विवाद से यह मामला और भी राजनीतिक रूप ले चुका है, और आने वाले दिनों में इस पर और तीखी बहस हो सकती है।

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