झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु अग्रवाल ने यह साबित कर दिया है कि यदि मेहनत और समर्पण हो, तो संसाधनों की कमी कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। CBSE 12वीं बोर्ड परीक्षा 2024 में साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई कर रहे हिमांशु ने 98.6% अंक प्राप्त किए हैं, जिससे वे SAI इंटरनेशनल स्कूल, भुवनेश्वर के टॉपर बन गए हैं।
हिमांशु का यह सफर केवल शैक्षणिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों छात्रों के लिए एक प्रेरणा है जो सीमित साधनों में भी बड़ा सपना देखना चाहते हैं। एक साधारण दुकानदार के बेटे के रूप में जन्मे हिमांशु ने कठिन मेहनत और लगातार लगन से यह सिद्ध किया कि बड़े सपने देखना और उन्हें पूरा करना, दोनों संभव हैं।
सपनों को उड़ान देने वाला संघर्ष
हिमांशु ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि वे नियमित रूप से अपने शिक्षकों से संपर्क में रहते थे और किसी भी डाउट को तुरंत क्लियर करते थे। “मेरे पास अपने शिक्षकों के मोबाइल नंबर थे। अगर स्कूल के बाद कोई सवाल होता, तो मैं उन्हें कॉल कर लिया करता था,” उन्होंने बताया।
उनकी पढ़ाई की रणनीति में एक और अहम पहलू था स्कूल द्वारा कराए गए टेस्ट की उत्तर पुस्तिकाओं का विश्लेषण। हिमांशु ने बताया कि वे उत्तर पुस्तिकाओं को बार-बार देखकर यह समझते थे कि कहां गलती हो रही है और उसमें सुधार करते थे। यह आत्मविश्लेषण और सतत सुधार उनकी सफलता की बड़ी वजह बना।

हिमांशु की सफलता के पीछे उनके माता-पिता और शिक्षकों का विशेष योगदान रहा। एक साधारण परिवार से आने वाले हिमांशु को सीमित संसाधनों में ही पढ़ाई करनी पड़ी, लेकिन उनके परिवार ने कभी हौसला नहीं टूटने दिया। शिक्षकों का मार्गदर्शन और समय-समय पर मिले सहयोग ने भी उनकी तैयारी को मजबूती दी।
अब MBBS की ओर बढ़ते कदम
CBSE बोर्ड में शानदार प्रदर्शन के बाद हिमांशु अब AIIMS जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से MBBS करने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने हाल ही में NEET UG 2024 की परीक्षा दी है और उम्मीद कर रहे हैं कि वे अच्छे रैंक के साथ देश के टॉप मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाएंगे।
हिमांशु का कहना है, “मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं ताकि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान दे सकूं। मुझे लगता है कि यह सेवा का सबसे अच्छा माध्यम है।”
यह भी पढ़ें:- CBSE 12वीं बोर्ड परीक्षा 2025 का परिणाम घोषित: 88.39% छात्र पास, लड़कियों ने मारी बाज़ी
प्रेरणा बनते हिमांशु
हिमांशु की कहानी सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक संदेश है कि संसाधनों की कमी सफलता के रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती। दृढ़ निश्चय, मेहनत और मार्गदर्शन के सहारे कोई भी छात्र बड़ी से बड़ी मंजिल हासिल कर सकता है।