दिल्ली-एनसीआर में इस समय H3N2 वायरल फ्लू तेजी से फैल रहा है और अस्पतालों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। कई लोग इसे सामान्य सर्दी-जुकाम या मौसम बदलने का असर मान रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह साधारण फ्लू नहीं बल्कि इन्फ्लूएंजा A का खतरनाक प्रकार है। इसकी चपेट में आने पर मामूली लक्षण धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकते हैं।
H3N2 वायरस क्या है?
H3N2 इन्फ्लूएंजा A का एक उपप्रकार है, जो हर साल मौसमी फ्लू का कारण बनता है। शुरुआत में यह साधारण बुखार या खांसी जैसा लगता है, लेकिन समय रहते इलाज न मिलने पर मरीज की हालत बिगड़ सकती है। हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। लोकल सर्वे के अनुसार लगभग 69% घरों में कोई न कोई सदस्य फ्लू, कोविड या वायरल बुखार के लक्षणों से जूझ रहा है।
वायरस कैसे फैलता है?
विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति जब खांसता, छींकता या बात करता है तो हवा में वायरस के कण फैल जाते हैं। इन्हें सांस के जरिए लेने पर संक्रमण हो सकता है। यही नहीं, संक्रमित सतह को छूने और फिर आंख, नाक या मुंह पर हाथ लगाने से भी यह आसानी से फैल सकता है।
H3N2 के प्रमुख लक्षण
इस वायरस के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, लगातार खांसी, गले में खराश, नाक बहना या बंद होना, सिरदर्द, बदन दर्द, थकान, मांसपेशियों में जकड़न और उल्टी या जी मिचलाना शामिल हैं। अधिकतर स्वस्थ लोग 7 से 14 दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन बुजुर्ग, छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं में इसका खतरा बढ़ जाता है।

इलाज और बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि एंटी-वायरल दवाएं संक्रमण के शुरुआती 48 घंटों में दी जाएं तो यह सबसे असरदार होती हैं। इससे मरीज की रिकवरी तेज हो जाती है और जटिलताओं का खतरा घट जाता है। इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना, भीड़ से दूरी बनाना, हाथों को बार-बार धोना, सतहों को सैनिटाइज करना और फ्लू का टीका लगवाना बेहद जरूरी है। डॉक्टरों की सलाह है कि लोग घबराने के बजाय सतर्क रहें, ज्यादा पानी पिएं, हल्का भोजन करें, आराम करें और चिकित्सक की सलाह पर ही दवाइयां लें।
यह भी पढ़िए – CLT10 नोएडा: क्रिकेट के मंच पर चमका विंध्य का सितारा प्रिंस वर्मा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस जानलेवा तो नहीं है, लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।