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स्ट्रेस और दिल की बीमारियों का संबंध

स्ट्रेस, आज के समय में एक सामान्य समस्या बन गई है, खासकर 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस आयु वर्ग के 40% हार्ट अटैक के मामलों में स्ट्रेस एक प्रमुख कारण है।

एक दुखद कहानी

अनीता ऑगस्टीन ने अपनी बेटी एना को खोने के बाद एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी पर काम का अत्यधिक दबाव था। एना, जो कि एक चार्टेड अकाउंटेंट थी, को इतनी अधिक जिम्मेदारियाँ दी गईं कि वह तनाव में आ गईं। सीने में दर्द के बावजूद, काम के दबाव के चलते उसने अपनी सेहत की अनदेखी की, जिसका अंत उसकी जान से हुआ।

स्ट्रेस का दिल पर प्रभाव

डॉ. मनमोहन सिंह चौहान के अनुसार, लगातार स्ट्रेस से हमारे शरीर में कोर्टिसोल नाम का हार्मोन रिलीज़ होता है, जो दिल की धड़कनें बढ़ाने, ब्लड प्रेशर बढ़ाने और ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करने का काम करता है। ये तीनों चीज़ें हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

लक्षणों पर ध्यान दें

  1. सीने में दर्द:
  • क्रोनिक पेन: यह लंबे समय से चलने वाला दर्द होता है, जो काम करने पर बढ़ सकता है।
  • एक्यूट पेन: अचानक सीने में दर्द उठने पर इसकी जांच आवश्यक है।
  1. सांस फूलना: खासकर महिलाओं और डायबिटीज़ के मरीजों में यह लक्षण अधिक प्रकट हो सकता है।
  2. थकान: यदि कोई काम करते समय तुरंत थकान महसूस करता है, तो यह भी दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है।

स्ट्रेस कम करने के उपाय

डॉक्टर कुछ सुझाव देते हैं ताकि स्ट्रेस से दिल को नुकसान न हो:

  • परिवार के साथ समय बिताएं: अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना तनाव कम करने में मदद करता है।
  • एक्सरसाइज: रोज़ाना कम से कम एक घंटे की शारीरिक गतिविधि करें।
  • योग और ध्यान: मानसिक शांति के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
  • सिगरेट और अनहेल्दी फूड से बचें: ये चीज़ें न केवल स्ट्रेस बढ़ाती हैं, बल्कि दिल की सेहत के लिए भी हानिकारक होती हैं।

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इन उपायों को अपनाकर आप अपने दिल को स्ट्रेस के नकारात्मक प्रभाव से बचा सकते हैं। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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