बेंगलुरु। कर्नाटक में हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 15 वर्ष से अधिक उम्र की 25% महिलाएँ और लगभग 26.9% पुरुष उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। यह स्थिति राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा गंभीर है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो यह समस्या दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, गुर्दे की विफलता और अकाल मृत्यु तक का कारण बन सकती है।
मंत्री ने जताई गंभीर चिंता
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने बुधवार को आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला में कहा कि उच्च रक्तचाप एक “खामोश महामारी” की तरह फैल रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इसके बढ़ते मामलों से न केवल लोगों की सेहत प्रभावित होगी, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी भारी बोझ डालेगा। उन्होंने कहा, “एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट बताती है कि कर्नाटक का हर चौथा वयस्क इस समस्या से जूझ रहा है। यानी लाखों लोग अचानक मेडिकल इमरजेंसी और दीर्घकालिक बीमारियों के खतरे में जी रहे हैं।”
सामुदायिक स्तर पर स्क्रीनिंग बढ़ाने की योजना
मंत्री ने बताया कि कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के तहत सामुदायिक स्तर पर स्क्रीनिंग का विस्तार किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग जल्द ही बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगा, जिसमें आहार में संतुलन, नियमित व्यायाम और कम नमक सेवन जैसी स्वस्थ जीवनशैली पर जोर दिया जाएगा।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स में उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए जरूरी दवाइयाँ और डायग्नॉस्टिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि मरीजों को उपचार में किसी तरह की दिक्कत न हो।

बच्चों में भी बढ़ रहा खतरा
कार्यक्रम में मौजूद कैंसर विशेषज्ञ डॉ. यू.एस. विशाल राव ने एक और चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसी भी राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में बच्चों के बीच उच्च रक्तचाप की जाँच नहीं की जा रही है। जबकि रिसर्च यह दर्शाती है कि शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों में बच्चों में हाई बीपी का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि मोटापा, तैलीय और जंक फूड का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बीमारियों को लेकर जागरूकता न होना, बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के प्रमुख कारण हैं। डॉ. राव ने सुझाव दिया कि स्कूल स्तर पर ही हेल्थ चेकअप कैंप आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि समय रहते बच्चों की स्क्रीनिंग हो सके और उन्हें सही परामर्श मिल सके।
जीवनशैली सुधार पर जोर
विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप को रोकने का सबसे सरल तरीका जीवनशैली में बदलाव है। संतुलित आहार लेना, फलों और सब्ज़ियों का सेवन बढ़ाना, नमक और तैलीय भोजन कम करना, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाना ही इससे बचाव का सबसे कारगर उपाय है। यदि लोग इन आदतों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें तो इस “खामोश महामारी” से बचाव संभव है।
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कर्नाटक में बढ़ते उच्च रक्तचाप के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। सरकार अब सामुदायिक स्तर पर स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान तेज करने जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि समय रहते रोकथाम के कदम उठाए गए तो इस खतरनाक समस्या को काबू में किया जा सकता है। लेकिन यदि इसे नज़रअंदाज़ किया गया तो आने वाले वर्षों में यह राज्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकती है।