सिवनी, मध्य प्रदेश।
जिले के केवलारी थाना क्षेत्र की पलारी पुलिस चौकी में पदस्थ उपनिरीक्षक (एसआई) राजेश्वर शर्मा को मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस जबलपुर की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी एसआई पर आरोप है कि उसने सड़क दुर्घटना के एक मामले को कमजोर करने के बदले शिकायतकर्ता से 6000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
शिकायतकर्ता ने खुद दर्ज करवाई शिकायत
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब महेश राय नामक व्यक्ति ने लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में इसकी औपचारिक शिकायत की। महेश राय ने बताया कि एक सड़क हादसे की जांच के दौरान चौकी प्रभारी ने केस में राहत देने के लिए रिश्वत मांगी थी। उन्होंने ये भी कहा कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तब अधिकारी दबाव बनाने लगे।
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस की टीम ने तत्काल जाल बिछाया और योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करते हुए आरोपी अधिकारी को पलारी पुलिस चौकी में ही रिश्वत लेते पकड़ा।
लोकायुक्त ने की पुख्ता कार्रवाई
लोकायुक्त डीएसपी नीतू त्रिपाठी ने बताया कि पूरी कार्रवाई पूर्व नियोजित योजना के तहत की गई। जैसे ही शिकायतकर्ता ने एसआई को रिश्वत की रकम सौंपी, वैसे ही टीम ने दबिश दी और आरोपी को पकड़ लिया। मौके से पूरी रिश्वत की रकम बरामद की गई है।

डीएसपी के अनुसार, “हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपी ने जानबूझकर एक कानूनी मामले को हल्का करने के लिए अवैध लेन-देन की मांग की। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।”
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज
लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी एसआई राजेश्वर शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। प्रारंभिक जांच के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है, जिसमें आरोपी को निलंबित किया जा सकता है और विभागीय जांच भी शुरू की जा सकती है।
जनता में आक्रोश, पुलिस की छवि को झटका
इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जिन पर न्याय की रक्षा की जिम्मेदारी है, वही अगर पैसे लेकर न्याय को बिगाड़ें, तो जनता किस पर भरोसा करे? यह मामला पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़ा करता है।
कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि चौकी में पहले भी इस तरह की गतिविधियों की चर्चा होती रही है, लेकिन किसी ने खुलकर शिकायत नहीं की थी। महेश राय की पहल ने अब एक मिसाल पेश की है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा संदेश
यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस की उन कोशिशों का हिस्सा है, जिसके तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इससे यह संदेश जाता है कि कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं है।
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सिवनी का यह मामला बताता है कि भ्रष्टाचार छोटे से लेकर बड़े स्तर तक फैला हुआ है, लेकिन यदि आम नागरिक हिम्मत दिखाएं और शिकायत दर्ज करवाएं, तो ऐसे मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है। लोकायुक्त की तत्परता और तेज़ कार्रवाई से यह भी साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब और भी मजबूत हो रही है।