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पैड में फंसी गेंद, हाथ से निकाली… फिर भी डेविड बेडिंघम आउट क्यों नहीं दिए गए?

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल के दूसरे दिन एक अनोखी घटना ने सबका ध्यान खींचा, जब साउथ अफ्रीका के बल्लेबाज डेविड बेडिंघम ने गेंद को हाथ से छूने के बावजूद आउट नहीं दिए गए। यह मामला नियमों की व्याख्या और अंपायर के फैसले को लेकर चर्चा में है।

घटना साउथ अफ्रीका की पहली पारी के 49वें ओवर की है। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ब्यू वेबस्टर की एक गेंद बेडिंघम के बैट के अंदरूनी किनारे से लगकर उनके पैड के फ्लैप में फंस गई। विकेटकीपर एलेक्स कैरी गेंद पकड़ने दौड़े, लेकिन उससे पहले ही बेडिंघम ने हाथ से गेंद निकालकर मैदान पर फेंक दी।

ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों, खासकर उस्मान ख्वाजा और कैरी ने तुरंत अपील की। ऐसा प्रतीत हुआ कि वे बल्लेबाज के “हैंडलिंग द बॉल” के तहत आउट होने की अपील कर रहे हैं। लेकिन अंपायर रिचर्ड इलिंगवर्थ ने इसे खारिज कर दिया। उनका कहना था कि जब तक गेंद को हाथ लगाया गया, वह ‘डेड’ हो चुकी थी।

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने अंपायर से चर्चा की, लेकिन उन्होंने आधिकारिक अपील नहीं की, जिससे मामला वहीं समाप्त हो गया।

इस घटनाक्रम पर विशेषज्ञों की राय बंटी रही। ऑस्ट्रेलियाई पूर्व क्रिकेटर मैथ्यू हेडन का कहना था कि गेंद पैड में फंसते ही डेड हो गई थी, इसलिए बल्लेबाज को आउट नहीं माना जा सकता। वहीं भारतीय क्रिकेट विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने कहा कि अगर कमिंस रिव्यू लेते, तो बेडिंघम आउट हो सकते थे क्योंकि गेंद तकनीकी रूप से डेड नहीं हुई थी।

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इस पूरे विवाद के बीच बेडिंघम साउथ अफ्रीका के लिए संकटमोचक साबित हुए। उन्होंने 111 गेंदों पर 45 रन बनाए और कप्तान बावुमा के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 64 रन की साझेदारी की। हालांकि टीम 138 रन पर ही सिमट गई।

यह मामला एक बार फिर क्रिकेट के पुराने नियमों की व्याख्या को लेकर सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब तकनीक के दौर में हर फैसला रीप्ले और थर्ड अंपायर की नजर में होता है। क्या डेड बॉल और बल्लेबाज के इरादे के बीच की रेखा धुंधली हो चुकी है? यह सवाल अब बहस का विषय बन गया है।

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