बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह अपनी ही पार्टी के नेताओं — सांसद राहुल लोधी और मंत्री धर्मेंद्र लोधी पर खुलकर नाराज़गी जाहिर करते दिख रहे हैं।
क्यों भड़के प्रीतम सिंह लोधी?
यह मामला हटा विधानसभा के रनेह गांव का है, जहां एक नर्स ने लोधी समाज के एक युवक के साथ मारपीट की। वीडियो में महिला के आपत्तिजनक शब्दों से समाज में गुस्सा फैल गया। जब लोधी समाज के लोग विरोध करने एकजुट हुए, तो वहां पहुंचे प्रीतम लोधी ने मंच से तीखा बयान दे डाला।
“वोट लिया, अब पहचान नहीं रहे!”
प्रीतम सिंह लोधी ने कहा:
“नेता, मंत्री, सांसद इसलिए नहीं बनाए जाते कि अपनी जाति को भूल जाओ। जिस समाज ने तुम्हें वोट देकर जिताया, अब उसी की अनदेखी कर रहे हो।”
सांसद और मंत्री नदारद
इस प्रदर्शन में सांसद राहुल लोधी और मंत्री धर्मेंद्र लोधी दोनों ही शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं, मंत्री के पिता और लोधी समाज के जिला अध्यक्ष भाव सिंह लोधी भी मौके पर नहीं पहुंचे। इसी बात से समाज में नाराज़गी और तेज हो गई।


प्रीतम सिंह लोधी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनका यह बयान पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।
पार्टी जहां एक ओर अनुशासन और सोच-समझकर बोलने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के बयान बीजेपी के अंदर चल रही हलचल को उजागर कर रहे हैं।
क्या होगा आगे?
अब सवाल यह है कि—
- क्या बीजेपी इस नाराज़गी को गंभीरता से लेगी?
- क्या पार्टी नेताओं को समाज की भावनाओं का ख्याल नहीं रखना चाहिए?
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यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि आने वाले समय में जातिगत समीकरण और नेतृत्व की जवाबदेही जैसे बड़े सवालों की शुरुआत भी हो सकती है।