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भोपाल में कांग्रेस की बैठक में गुटबाज़ी का विस्फोट, आरिफ मसूद और साजिद अली के समर्थक आपस में भिड़े, वीडियो वायरल

मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत राजधानी भोपाल में मंगलवार को आयोजित जिला स्तरीय बैठक उस वक्त विवादों की भेंट चढ़ गई, जब दो वरिष्ठ नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए। बैठक के दौरान मौजूद एआईसीसी पर्यवेक्षक यशोमति ठाकुर समेत अन्य नेताओं के सामने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की यह आपसी भिड़ंत कैमरे में कैद हो गई और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गई।

जानकारी के अनुसार यह विवाद कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद और कांग्रेस नेता साजिद अली के समर्थकों के बीच हुआ। दोनों गुटों के बीच बहस इतनी तेज़ हो गई कि वह शारीरिक झड़प में बदल गई। घटना के बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। यह बैठक भोपाल जिले में संगठनात्मक मजबूती के मकसद से बुलाई गई थी, लेकिन जो नज़ारा सामने आया, उसने कांग्रेस की आंतरिक एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान जिलाध्यक्ष पद को लेकर चर्चा चल रही थी। इसी दौरान दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने पक्ष में नारेबाज़ी और दावेदारी को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। माहौल गर्म हुआ और देखते ही देखते धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और हाथापाई शुरू हो गई। एक समय तो स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वरिष्ठ नेताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा और बैठक को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा।

एआईसीसी पर्यवेक्षक की मौजूदगी में विवाद

यह पूरा घटनाक्रम उस वक्त हुआ जब कांग्रेस हाईकमान द्वारा नियुक्त एआईसीसी पर्यवेक्षक यशोमति ठाकुर बैठक की निगरानी कर रही थीं। उनके सामने ही यह गुटीय झड़प हुई, जिसने पूरे घटनाक्रम को और भी संवेदनशील बना दिया है। यशोमति ठाकुर बैठक में भोपाल जिले के सभी संभावित जिलाध्यक्षों और पदाधिकारियों से संवाद कर रही थीं।

विवाद के बाद दोनों गुटों के समर्थक एमपी नगर थाने पहुंचे और एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दी। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक किसी गिरफ्तारी की सूचना नहीं है, लेकिन इस विवाद से कांग्रेस की छवि को बड़ा नुकसान ज़रूर हुआ है।

भाजपा का तीखा हमला

घटना का वीडियो वायरल होते ही भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। भाजपा प्रदेश प्रभारी आशीष अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“कांग्रेस की बैठक या कुश्ती प्रतियोगिता? संगठन सृजन अब संघर्ष सृजन बन गया है। अगली बैठक में डॉक्टर बुलाएंगे या पुलिस?”


उनका यह बयान कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे पर सवालिया निशान खड़ा करता है

क्या संगठन सृजन अभियान असफल?

इस घटना ने कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस मकसद से पार्टी यह अभियान चला रही है—जमीनी कार्यकर्ताओं को जोड़ना, संगठन को मज़बूत करना और नेतृत्व की नई परत तैयार करना—वहीं कार्यकर्ता गुटबाज़ी और वर्चस्व की लड़ाई में उलझे दिखे। यह साफ संकेत है कि प्रदेश कांग्रेस को अपने अंदरूनी मतभेदों को सुलझाए बिना वह मिशन 2028 जैसे किसी बड़े लक्ष्य की ओर नहीं बढ़ सकती।

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भले ही कांग्रेस इस झगड़े को आकस्मिक घटना कहकर टालने की कोशिश करे, लेकिन जिस तरह यह विवाद सार्वजनिक हुआ है, वह पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी और आंतरिक खींचतान को उजागर करता है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इस घटना से सबक लेगी, या आने वाले दिनों में ऐसे और दृश्य पार्टी की एकता को चैलेंज करते रहेंगे?

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