Homeप्रदेशदेवसर में अवैध शराब का साम्राज्य! आबकारी विभाग मौन, ठेकेदार बेलगाम...?

देवसर में अवैध शराब का साम्राज्य! आबकारी विभाग मौन, ठेकेदार बेलगाम…?

सिंगरौली जिले के देवसर और जियावन थाना क्षेत्र में इन दिनों अवैध शराब का गोरखधंधा इस कदर हावी है कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आबकारी विभाग की सुस्त और मूक प्रणाली के चलते अब शराब ठेकेदार और उनके गुर्गे खुलेआम गांव-गांव शराब पहुंचा रहे हैं — वो भी बोलेरो जैसे निजी वाहनों से।

जहां एक ओर अधिकारी “रेड” और “जप्ती” की बातें कर अपनी फाइलें भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देवसर क्षेत्र की गलियों, मोहल्लों और ढाबों तक शराब की होम डिलीवरी हो रही है। यह सबकुछ एक संगठित नेटवर्क की तरह चल रहा है, जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन और आबकारी अधिकारियों को होने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं दिखी।

बोलोरो बना ‘शराब एक्सप्रेस’, प्रशासन बना मूकदर्शक?

स्थानीय सूत्रों की मानें तो कई बोलेरो गाड़ियों को खासतौर पर इस काम में लगाया गया है। इन पर न कोई नंबर प्लेट होती है, न किसी जांच का डर। खुलेआम शराब की पेटियां लोड कर गांवों की ओर रवाना कर दी जाती हैं। कोई रोक-टोक नहीं, कोई पूछताछ नहीं।

इन गाड़ियों की सप्लाई ढाबों, गांवों, और यहां तक कि घरेलू ठिकानों तक हो रही है। यह मामला अब सिर्फ अवैध व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज के बुनियादी ढांचे को खोखला करने वाला गंभीर खतरा बन गया है।

क्या आबकारी विभाग जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है?

सबसे बड़ा सवाल यह है — जब यह सबकुछ इतने खुले तौर पर हो रहा है, तो जिम्मेदार विभाग कहां है?
क्या यह लापरवाही है या मिलीभगत?
कभी-कभार की जाने वाली खानापूर्ति वाली छापेमारी अब जनता के बीच मज़ाक का विषय बन गई है।

सूत्र बताते हैं कि विभागीय मिलीभगत के बगैर यह धंधा इस स्तर पर संभव नहीं है। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब भी कोई शिकायत की जाती है, तो या तो उसे अनसुना कर दिया जाता है या फिर फॉर्मलिटी के नाम पर कुछ बोतलें जब्त कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

महिलाएं हुईं त्रस्त, विरोध की तैयारी में ग्रामीण

इस बढ़ते कारोबार का सीधा असर गांव की महिलाओं और युवाओं पर पड़ रहा है।
घरेलू हिंसा, नशे की लत, पारिवारिक कलह और बेरोजगारी जैसे मुद्दे तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
कई महिलाओं ने बताया कि शराब के चलते घर बर्बाद हो गए हैं, और अब हालात बर्दाश्त के बाहर हो गए हैं।

देवसर और आसपास के गांवों में महिला समूहों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगी।

आखिर कब जागेगा प्रशासन?

देवसर क्षेत्र अब एक अहम सवाल पूछ रहा है — जब प्रशासन जानता है, देख रहा है, फिर भी चुप क्यों है?
क्या यह मौन स्वीकृति नहीं मानी जाए?
क्या सत्ताधारी दल के समर्थन से ठेकेदार बेलगाम हो चुके हैं?

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अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर आरोप और सवालों के साए में क्या कदम उठाता है
या फिर यह खबर भी किसी फाइल में दबकर रह जाएगी और बोलेरो से शराब की सप्लाई यूं ही चलती रहेगी।

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