मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ इंसानी रिश्तों की सीमाओं को उजागर किया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रेम करने की सजा मौत हो सकती है?
क्या था मामला?
घटना बैतूल जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र की है। यहां एक शादीशुदा महिला, जो अपने प्रेमी के साथ अपने ससुराल से मायके आई थी, 4 जून को अचानक गायब हो गई। महिला के परिजनों ने 7 जून को शाहपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
लेकिन इसके बाद घटना ने नया मोड़ ले लिया। महिला ने खुद परिजनों को कॉल कर यह स्वीकार किया कि वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई है। परिजनों ने उसे समझाया और घर लौटने के लिए राजी किया।
फिर हुआ खौफनाक मोड़
जब प्रेमी युगल इटारसी से लौट रहा था, तभी भौंरा बस स्टैंड पर महिला के परिजनों ने उन्हें देखते ही पकड़ लिया। वहीं बस स्टैंड पर काफी हंगामा हुआ और इसके बाद दोनों को जबरन गुरगुंदा गांव ले जाया गया।
यहां प्रेमी युवक के साथ महिला के परिजनों ने बेरहमी से मारपीट की, और देर शाम दोनों को शाहपुर थाने लाया गया।
पुलिस की सतर्कता से उजागर हुआ मामला
पुलिस ने जब युवक के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान देखे तो उसे तत्काल अस्पताल भेजा, लेकिन इलाज के दौरान युवक ने दम तोड़ दिया।

इस मामले में महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
प्रेम की सजा मौत?
यह सवाल अब हर किसी के मन में उठ रहा है कि क्या सिर्फ प्रेम करना इतना बड़ा अपराध है, कि उसकी कीमत किसी की जान से चुकानी पड़े? युवक की मौत के बाद गांव और सोशल मीडिया पर गहरा आक्रोश है। कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं भारतीय समाज में प्रेम को अपराध जैसा बना देती हैं, जहां प्रेम विवाह अब भी सामाजिक स्वीकार्यता के लिए संघर्ष कर रहा है।
पुलिस जांच जारी, परिजन कानून के शिकंजे में
शाहपुर थाना प्रभारी का कहना है कि गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच तेजी से की जा रही है। सभी 11 आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है। साथ ही महिला का बयान भी अदालत में दर्ज कराया जाएगा।
क्या कहता है समाज और कानून?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला ‘ऑनर किलिंग’ की श्रेणी में आता है, जहां समाज या परिवार की तथाकथित ‘इज्जत’ को बचाने के नाम पर किसी की जान ली जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सहमति से बने रिश्ते अपराध नहीं हैं, लेकिन ऐसे मामलों में ग्रामीण सामाजिक संरचनाएं कानून को पीछे छोड़ देती हैं।
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बैतूल की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आज भी प्रेम करने वालों को अपने जीवन की कीमत चुकानी पड़ती है। यह सिर्फ एक प्रेमी की हत्या नहीं है, बल्कि यह समाज की असहिष्णु सोच का नतीजा है।
अब देखना यह है कि क्या इस केस में न्याय मिलेगा, या फिर यह मामला भी कागज़ी कार्रवाई बनकर फाइलों में दफन हो जाएगा?