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सिंगरौली: सरई में टूटी पुलिया की मरम्मत शुरू – क्या फिर दोहराई जाएगी लाखों की लूट की कहानी?

सिंगरौली, मप्र।
सरई नगर परिषद के अंतर्गत तहसील कार्यालय के सामने स्थित वर्षों पुरानी पुलिया का मरम्मत कार्य इन दिनों सुर्खियों में है। लंबे समय से टूटी पड़ी इस पुलिया ने न केवल लोगों की आवाजाही में रुकावट पैदा की बल्कि बरसात के मौसम में यह दुर्घटनाओं का केंद्र बन चुकी थी। अब जब मरम्मत का काम शुरू किया गया है, तो लोगों की उम्मीदों के साथ-साथ शंकाएं भी बढ़ गई हैं।

स्थानीय निवासी आशंका जता रहे हैं कि यह मरम्मत कार्य महज़ एक और खानापूर्ति न बन जाए, जिसमें पहले की तरह सरकारी राशि का फर्जीवाड़ा कर लिया जाए। नगर परिषद सरई का रिकॉर्ड भी ऐसा ही रहा है – निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की जगह जल्दबाज़ी और लेन-देन की कहानी ज्यादा देखने को मिलती है।

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

पुलिया मरम्मत की प्रक्रिया में सबसे पहले जिस बात की आलोचना हो रही है, वह है पारदर्शिता की कमी। न तो कोई सूचना पट लगाया गया है, जिससे कार्य की लागत, ठेकेदार और तय समयसीमा की जानकारी मिले, और न ही स्थानीय प्रशासन की ओर से निगरानी की कोई व्यवस्था दिख रही है।

स्थानीय दुकानदार रामनिवास साहू कहते हैं – “इस पुलिया को पिछले साल भी मरम्मत के नाम पर मिट्टी और कुछ सीमेंट डालकर छोड़ दिया गया था। फिर से वही खेल शुरू हो गया है। कोई अधिकारी देखने तक नहीं आता।”

सड़क की हालत और जनजीवन पर असर

सरई तहसील कार्यालय, जिला न्यायालय और कई महत्वपूर्ण सरकारी भवन इसी मार्ग से जुड़े हैं। टूटी पुलिया से होकर रोजाना सैकड़ों लोगों का आवागमन होता है। बारिश के दिनों में यहाँ पानी भर जाता है और स्थिति जानलेवा हो जाती है। कई बार बच्चे, बुजुर्ग और दुपहिया सवार गिरकर चोटिल हो चुके हैं।

सरई निवासी पूजा वर्मा कहती हैं – “हमने कई बार नगर परिषद से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब मरम्मत हो रही है, लेकिन डर है कि यह टिकेगी कितने दिन?”

क्या यह फिर से ‘कागज़ी निर्माण’ बन जाएगा?

नगर परिषद सरई पर पहले भी निर्माण कार्यों में लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं। वर्ष 2022 में जल निकासी नाली निर्माण में करोड़ों की लागत लगाई गई थी, लेकिन पहली ही बारिश में नाली ध्वस्त हो गई थी। शिकायतें हुईं, जांच की मांग उठी, लेकिन नतीजा आज तक नहीं निकला।

अब जबकि पुलिया की मरम्मत हो रही है, क्षेत्रवासियों की मांग है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए। जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि और मीडिया को मिलकर इसकी निगरानी करनी चाहिए, ताकि सरकारी पैसा बर्बाद न हो और जनता को वास्तविक सुविधा मिल सके।

क्या कहते हैं अधिकारी?

इस संबंध में नगर परिषद सरई के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने आधिकारिक रूप से बयान नहीं दिया। हालांकि, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा – “पुलिया की मरम्मत आवश्यक थी। प्रक्रिया चालू है। गुणवत्ता और खर्च पर निगरानी रखी जा रही है।”

जनता की मांग – हो सार्वजनिक मॉनिटरिंग

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवा संगठनों ने मांग की है कि पुलिया निर्माण में खर्च, सामग्री और गुणवत्ता की जानकारी सार्वजनिक की जाए। सोशल मीडिया पर भी #सरई_पुलिया_घोटाला ट्रेंड करने लगा है, जिससे लोगों का गुस्सा झलक रहा है।

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सवाल यही है – क्या यह पुलिया एक बार फिर कागजों में मजबूती से बनेगी और ज़मीनी हकीकत में मिट्टी से? जनता की निगाहें नगर परिषद सरई और जिला प्रशासन पर टिकी हैं। यदि इस बार भी अनदेखी हुई, तो सरई की जनता सड़कों पर उतरने के मूड में है।

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