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सीधी में पत्रकार पर अत्याचार! थाने में अपमान, आत्महत्या की कोशिश, अब जनआंदोलन की चेतावनी

सीधी जिले में पत्रकार राजेश सिंह के साथ हुए कथित पुलिस दुर्व्यवहार ने जिले की राजनीति और समाज को गहराई से झकझोर दिया है। इस मामले को लेकर सोमवार, 07 जुलाई को जिले के प्रमुख सामाजिक संगठनों और पत्रकार संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए कलेक्टर कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

ज्ञापन सौंपने वालों में रॉयल राजपूत संगठन, शिवसेना जिला इकाई सीधी, करणी सेना, पत्रकार संगठन और आम नागरिकों की बड़ी भागीदारी रही। सभी ने एक स्वर में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मजिस्ट्रियल जांच की मांग रखी।

क्या है पूरा मामला?

ज्ञापन के अनुसार, पत्रकार राजेश सिंह लम्बे समय से सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए स्थानीय प्रशासनिक और जनहित मुद्दों को उजागर करते आ रहे थे। यही उनकी पत्रकारिता अब उनके लिए संकट बन गई।

आरोप है कि बीते दिनों कोतवाली थाना प्रभारी द्वारा उनके साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया गया, बल्कि उन्हें अनुचित तरीके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। यही नहीं, पुलिस की कथित प्रताड़ना से मानसिक रूप से टूट चुके पत्रकार ने आत्महत्या जैसा कदम उठाने की कोशिश की, जो अब पूरे समाज के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

सवालों के घेरे में पुलिस कार्रवाई

ज्ञापन में स्पष्ट तौर पर सवाल उठाया गया है कि यदि पुलिस का दावा है कि पत्रकार ने शराब का सेवन किया था, तो इसकी मेडिकल पुष्टि किस आधार पर हुई? किसने सूचना दी? और यह कार्रवाई किस दबाव या मंशा के तहत की गई?

इसके साथ ही कोतवाली थाने की CCTV फुटेज की जांच कर घटना के असल स्वरूप को सामने लाने की मांग भी की गई है।

समाज और संगठनों में व्यापक आक्रोश

ज्ञापन में बताया गया कि इस घटना से केवल राजपूत समाज ही नहीं, बल्कि जिले के हर वर्ग, पत्रकार जगत और युवाओं में तीव्र असंतोष है।

  • करणी सेना, रॉयल राजपूत संगठन और शिवसेना सहित कई संगठनों ने इसे केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज के सम्मान पर हमला बताया है।
  • पत्रकार संगठनों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा आघात करार दिया है।

ज्ञापन में हस्ताक्षर कर दर्जनों संगठनों ने अपना समर्थन दिया और चेतावनी दी कि यदि 7 दिन के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो जिले भर में जनांदोलन खड़ा किया जाएगा।

प्रशासन की ओर से मौन, पुलिस का स्पष्टीकरण अधूरा

हालांकि पुलिस विभाग की ओर से कुछ वीडियो और फोटो जारी कर स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया गया है, लेकिन स्थानीय जनमानस में अभी भी असमंजस और अविश्वास का माहौल बना हुआ है।

पुलिस के स्पष्टीकरण को लेकर यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर सब कुछ वैधानिक था, तो पत्रकार को ऐसा मानसिक आघात क्यों हुआ कि वह आत्मघाती कदम उठाने की ओर बढ़ा?

मजिस्ट्रियल जांच की मांग और 3 प्रमुख बिंदु

ज्ञापन में तीन प्रमुख मांगों को स्पष्ट किया गया है:

  1. दोषी पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
  2. घटना की निष्पक्ष मजिस्ट्रियल जांच कराई जाए।
  3. पत्रकार राजेश सिंह और उनके परिवार को न्याय और सुरक्षा प्रदान की जाए।

क्या उभर सकता है जन आंदोलन?

स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि शासन-प्रशासन ने इस बार भी आंख मूंदी, तो यह मामला राजनीतिक और सामाजिक उबाल में बदल सकता है। पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं और इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक जवाबदेही को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

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राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज हो गई है कि इस मुद्दे पर यदि जनता सड़क पर उतर आई, तो आगामी चुनावों में इसका असर जरूर देखने को मिलेगा।

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