क्या इंजीनियरिंग की चूक, बारिश की मार या लापरवाही का नतीजा?
गुरुग्राम में एक बार फिर बारिश ने सिस्टम की असलियत उजागर कर दी है। 9 जुलाई की रात शहर की व्यस्त सदर्न पेरिफेरल रोड अचानक धंस गई, और इस हादसे में एक बीयर से लदा ट्रक सीधे गड्ढे में समा गया। गनीमत रही कि हादसे में कोई जख्मी नहीं हुआ, लेकिन जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए, उन्होंने प्रशासन और इंजीनियरिंग की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसा कैसे हुआ?
यह हादसा रात 10 से 11 बजे के बीच का है। जब गुरुग्राम में तेज बारिश के चलते कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति बन गई थी। सदर्न पेरिफेरल रोड से गुजर रहा एक ट्रक, जिसमें हजारों लीटर बीयर की बोतलें लदी थीं, अचानक धंसी सड़क के साथ गड्ढे में जा गिरा। ड्राइवर ने बताया कि घटना के समय रोड पूरी तरह सूखी थी और उससे पहले दो अन्य भारी वाहन भी उसी रास्ते से गुजर चुके थे।
सीवर पाइपलाइन बना कारण?
अधिकारियों ने बताया कि सड़क के नीचे हाल ही में सीवर पाइपलाइन डाली गई थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में जलभराव की समस्या को हल करना था। लेकिन पाइपलाइन बिछाने के महज 15 दिन बाद ही यह हादसा हो गया। बारिश के पानी और पहले की खुदाई के कारण सड़क की नींव कमजोर हो गई थी, जिससे ये गड्ढा बना।
ड्राइवर का बयान
“मैं गोदाम जा रहा था। ट्रक में बीयर की बोतलें थीं। जैसे ही मैं इस रोड से गुजरा, ट्रक धंस गया। यहां कोई पानी नहीं था, सब ठीक लग रहा था। अगर दिन का समय होता तो हादसा और बड़ा हो सकता था।”
गुरुग्राम की सड़कों की पुरानी कहानी
ये कोई पहला मौका नहीं है जब गुरुग्राम की सड़कों ने बारिश में दम तोड़ा हो। हर साल बारिश के मौसम में NH-8, सोहना रोड, MG रोड, नरसिंहपुर जैसे इलाकों में जलभराव आम हो चुका है। गाड़ियां तैरती हैं, ऑफिस जाने वाले घंटों जाम में फंसते हैं और प्रशासन केवल बयान देकर बच निकलता है।
इस बार हालात और भी खराब रहे। IMD के अनुसार, 9 जुलाई की रात सिर्फ 90 मिनट में 103 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले कई सालों की तुलना में बेहद अधिक है। कुल मिलाकर शहर में 12 घंटे में 133 मिमी बारिश हुई। पास के वजीराबाद में भी 122 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
सवालों के घेरे में प्रशासन
अब सवाल उठ रहे हैं – क्या पाइपलाइन डालने के बाद रोड की मजबूती की जांच की गई थी? क्या इंजीनियरिंग में कोई चूक हुई? अगर यह रोड इतनी कमजोर थी तो भारी वाहनों का संचालन क्यों किया गया?
स्थानीय नागरिकों और शहरी नियोजन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम जैसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे शहर में ऐसी घटनाएं विश्वासघात की तरह हैं। जब करोड़ों रुपये की लागत से सड़क बनाई जाती है, तो महज 15 दिन में उसका धंस जाना सिर्फ भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा माना जाएगा।
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
इस हादसे का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोगों ने गंभीर सवालों के साथ मजाक भी उड़ाया। किसी ने कहा, “सड़क ने बीयर पी ली!”, तो किसी ने लिखा – “गुरुग्राम की सड़कों में ड्रेन नहीं, ड्रिंक बह रही है।”
आगे क्या?
प्रशासन की ओर से कहा गया है कि जांच की जाएगी और जरूरत पड़ी तो डिज़ाइन में बदलाव भी किया जाएगा। मगर सवाल ये है कि हर बार हादसे के बाद ही जागने वाले सिस्टम को पहले से चेतावनी क्यों नहीं दिखती? क्या ऐसी घटनाएं सिर्फ मीडिया की सुर्खियां बनकर रह जाएंगी या कभी कोई जवाबदेही तय होगी?
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सड़क पर धंसा ट्रक सिर्फ एक हादसा नहीं, ये एक डूबते सिस्टम की पहचान है। गुरुग्राम जैसे विकसित शहर में जब बुनियादी संरचना इतनी असुरक्षित हो, तो आने वाला कल कैसा होगा? बीयर की बोतलों के साथ जो रोड धंसी, क्या उसमें भविष्य की उम्मीदें भी दब गईं?
ये हादसा एक चेतावनी है, सवाल ये है कि क्या कोई सुनेगा?