मध्यप्रदेश के दो प्रमुख जिलों रतलाम और नीमच को जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर दोहरीकरण (Doubling) और विद्युतीकरण (Electrification) का कार्य अब अंतिम चरण में है। दिसंबर 2025 तक इसके पूर्ण होने की उम्मीद है। इस परियोजना से न केवल यात्री सुविधाएं बेहतर होंगी, बल्कि उद्योग, व्यापार और जीडीपी विकास की रफ्तार भी तेज होगी।
1100 करोड़ की लागत से हो रहा काम
इस परियोजना पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सितंबर 2021 में इस योजना को हरी झंडी मिली थी और तभी से कार्य शुरू कर दिया गया था। नीमच से दलौदा, दलौदा से बड़ायला चौरासी, और फिर बड़ायला चौरासी से रतलाम तक के खंडों पर या तो कार्य पूरा हो चुका है या अंतिम चरण में है।
रेलवे की इस योजना के अंतर्गत नए प्लेटफॉर्म, यात्री प्रतीक्षालय, पेनल रूम जैसे कई बुनियादी ढांचे भी विकसित किए जा रहे हैं। रतलाम रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा के अनुसार यह प्रोजेक्ट यात्रियों और व्यापार दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
यात्री और मालगाड़ियों की संख्या में इजाफा
रेलवे दोहरीकरण से यात्रियों को तेज गति की ट्रेनें मिलेंगी और मालगाड़ियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। इससे औद्योगिक क्षेत्रों में लॉजिस्टिक सुविधा आसान होगी और वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों को माल ढुलाई में सुगमता मिलेगी, जिससे उत्पादन और निर्यात में बढ़त होगी।
आर्थिक लाभ और रोजगार के नए अवसर
इस रेलवे प्रोजेक्ट का सीधा असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। रतलाम जिले की आबादी 14 लाख से अधिक है और राज्य सरकार के अनुसार यहां की प्रति व्यक्ति आय ₹1,40,583 है। अनुमान है कि तेज ट्रेन सेवाओं और बेहतर परिवहन से प्रति व्यक्ति आय और रोजगार में इजाफा होगा।
औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

उद्योगों को मिलेगा विशेष फायदा
रतलाम और आस-पास के इलाकों में तांबे की तार, रसायन, ऑक्सीजन गैस, प्लास्टिक की रस्सी, सोना-चांदी, रतलामी साड़ी और हस्तशिल्प जैसे कई उद्योग सक्रिय हैं। रेलवे दोहरीकरण से इन क्षेत्रों में कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल की बिक्री आसान होगी। यह निर्यात को भी बढ़ावा देगा।
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से भी जुड़ेगा फायदा
रेलवे लाइन के इस उन्नयन से दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) के निकट 14,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित औद्योगिक विकास को भी बल मिलेगा। वहीं, अल्कोहल प्लॉट की 29 हेक्टेयर जमीन पर उद्योग लगाने की प्रक्रिया भी इस योजना के साथ गति पकड़ सकती है।
पारंपरिक उत्पादों को राष्ट्रीय मंच
रतलाम की नमकीन और साड़ी क्लस्टर जैसी पारंपरिक पहचान को भी इस विकास से नई उड़ान मिलेगी। तेज गति की ट्रेनें और सुधरा हुआ रेल नेटवर्क स्थानीय व्यापारियों को राष्ट्रीय बाजारों तक आसानी से पहुंचने में मदद करेगा।
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नीमच-रतलाम रेलवे दोहरीकरण और विद्युतीकरण परियोजना केवल रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को ही नहीं बल्कि पूरा क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाली साबित हो सकती है। दिसंबर 2025 में इसके पूर्ण होने के बाद यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के सबसे तेज़ विकसित होते कॉरिडोर में शामिल हो सकता है।