Homeप्रदेशविधायक की जुबान पड़ गई भारी: दरोगा पाठक पर अभद्र टिप्पणी मामले...

विधायक की जुबान पड़ गई भारी: दरोगा पाठक पर अभद्र टिप्पणी मामले में एमपीएमएलए कोर्ट ने दर्ज किया परिवाद,

देवसर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक राजेन्द्र मेश्राम अब कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। करीब एक साल पुराने मामले में विधायक द्वारा सार्वजनिक सभा के दौरान पंचायत प्रतिनिधि पर की गई कथित अमर्यादित टिप्पणी को लेकर एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट जबलपुर में मानहानि का परिवाद दर्ज हो गया है। न्यायालय ने विधायक को 4 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जमानत प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

क्या है मामला?

मामला 18 जून 2024 का है, जब ग्राम पंचायत गोडवहरा (देवसर) में एक जनसभा आयोजित की गई थी। इस दौरान मौजूद बंधा सरपंच देवेंद्र कुमार पाठक उर्फ दरोगा पाठक पर विधायक राजेंद्र मेश्राम ने कथित तौर पर ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जो उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले थे। घटना से आहत होकर सरपंच दरोगा पाठक ने मामले को अदालत की चौखट तक पहुंचाया।

विशेष अदालत में दर्ज हुआ परिवाद

सरपंच की ओर से अधिवक्ता रामनरेश द्विवेदी (देवसर) द्वारा एमपीएमएलए विशेष न्यायालय जबलपुर में मामला प्रस्तुत किया गया। न्यायाधीश डी.पी. सूत्रकार की अदालत ने 11 जुलाई 2025 को मामला दर्ज करते हुए इसे भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356(2) के अंतर्गत स्वीकार कर लिया है। इस धारा के तहत अगर आरोप सिद्ध होता है तो अधिकतम दो साल की सजा और साथ ही विधानसभा सदस्यता समाप्त होने की संभावना भी बनी रहती है।

संवैधानिक और राजनीतिक असर

इस प्रकरण को महज एक स्थानीय विवाद नहीं माना जा रहा है, बल्कि इसके संवैधानिक और राजनीतिक प्रभाव भी गहरे हो सकते हैं। एक ओर जहां मामला अदालत में है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। स्थानीय स्तर पर विपक्ष इसे भाजपा के नेताओं की बढ़ती अहंकारी प्रवृत्ति का प्रतीक बता रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि विधायक पर आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें न सिर्फ सजा भुगतनी पड़ सकती है, बल्कि विधायक पद भी खतरे में पड़ जाएगा। इससे पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है, खासकर बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में जहां पहले से भाजपा की पकड़ कमजोर हो रही है।

विधायक की चुप्पी पर सवाल

इस गंभीर मामले को लेकर विधायक राजेन्द्र मेश्राम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न उन्होंने इस टिप्पणी को लेकर माफी मांगी है और न ही मीडिया से संवाद किया है। उनके चुप रहने को कुछ राजनैतिक विश्लेषक रणनीतिक चुप्पी बता रहे हैं, वहीं आमजनता इसे उत्तरदायित्व से बचाव की कोशिश मान रही है।

यह भी पढ़ें:- सोन नदी में फंसे 25 से ज्यादा गोवंशों को SDERF और होमगार्ड ने बचाया, जोखिम में डाली अपनी जान

अब सबकी निगाहें 4 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। यदि विधायक कोर्ट में जमानत नहीं पेश करते हैं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, अगर यह मामला राजनीतिक रंग लेता है तो भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में जन असंतोष का सामना करना पड़ सकता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular