भारतीय जनता पार्टी (BJP) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश अब अंतिम चरण में पहुंचती नजर आ रही है। जहां पहले खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नामों की चर्चा थी, वहीं अब अचानक से एक नाम राजनीति गलियारों में तेजी से उभरा है — वह है पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का।
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सहमति के बाद शिवराज सिंह का नाम आगे बढ़ाया गया है। संघ का फीडबैक भी उनके पक्ष में है। हालांकि, अभी तक इस पर आधिकारिक मुहर नहीं लगी है।
शिवराज ने क्या कहा?
हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में जब शिवराज से पूछा गया कि क्या वह खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में देखते हैं, तो उन्होंने कहा,
“जब आप एक बड़े मिशन का हिस्सा होते हैं, तो यह मिशन तय करता है कि आप कहां काम करेंगे। मैं सिर्फ एक कार्यकर्ता हूं।”
संगठन का लंबा अनुभव
शिवराज सिंह चौहान के पास पार्टी संगठन का गहरा अनुभव है। वह भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य रहे हैं। 2019 में सदस्यता अभियान के प्रभारी के रूप में उन्होंने पार्टी के सदस्यों की संख्या साढ़े 18 करोड़ से ज्यादा कराई थी। इससे पहले वे भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एबीवीपी के मंत्री भी रह चुके हैं।
लाड़ली बहना योजना बनी टर्निंग पॉइंट
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत में शिवराज की लाड़ली बहना योजना का बड़ा योगदान था। कांग्रेस जिस तरह फ्रंटफुट पर थी, उससे भाजपा को हार का डर था, लेकिन महिलाओं को सीधे खातों में दी गई आर्थिक सहायता ने चुनावी हवा का रुख बदल दिया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष की राह में क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, उनके लिए रास्ता आसान नहीं है। विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के बावजूद उन्हें फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। यह माना जाता है कि शीर्ष नेतृत्व से उनके संबंध उस दौरान तनावपूर्ण रहे थे। अब देखना होगा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने में यह अतीत आड़े आता है या नहीं।
शिवराज की राजनीतिक यात्रा
- जन्म: 5 मार्च 1959, जैत गांव (म.प्र.)
- राजनीति की शुरुआत: 13 साल की उम्र में संघ से जुड़े
- पहली जीत: 1975 में छात्र संघ चुनाव जीता
- मुख्यमंत्री कार्यकाल: 4 बार मध्यप्रदेश के सीएम रहे
- विवाद: व्यापम घोटाले में आरोप, बाद में CBI से क्लीन चिट
क्या कहता है बीजेपी का संविधान?
भाजपा के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए कम से कम 15 साल का प्राथमिक सदस्य होना जरूरी है। पार्टी के संविधान की धारा-19 के तहत निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य उस नाम का प्रस्ताव रख सकते हैं।
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शिवराज सिंह चौहान न सिर्फ एक अनुभवी राजनेता हैं, बल्कि संगठनात्मक क्षमता और चुनावी रणनीति में भी माहिर माने जाते हैं। यदि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा रणनीतिक फैसला होगा — खासकर 2029 की तैयारियों के मद्देनज़र।