सिंगरौली (म.प्र.)।
नगर निगम सिंगरौली के वार्ड क्रमांक 45 के अंतर्गत आने वाला मेडिकल कॉलेज मार्ग इन दिनों लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। नौगढ़ खलनायक चौराहे से लेकर मेडिकल कॉलेज और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय तक का यह पूरा मार्ग अब सड़क कम, खाई ज्यादा नज़र आता है। गड्ढों से भरे इस रास्ते पर रोज़ाना आवाजाही करने वालों को जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।
हर कदम पर खतरा: बारिश ने और बिगाड़े हालात
यह क्षेत्र पहले से ही सड़क के रखरखाव की समस्या से जूझ रहा था, लेकिन बीते कुछ दिनों की बारिश ने हालात और खराब कर दिए हैं। जगह-जगह खाईनुमा गड्ढों में पानी भर जाने के कारण वाहन चालकों को अंदाज़ा ही नहीं हो पाता कि सड़क कहां है और गड्ढा कहां। इससे दोपहिया वाहन चालकों के फिसलने की घटनाएं बढ़ गई हैं, और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि बारिश के मौसम में यह सड़क एक दलदल में तब्दील हो चुकी है। कई बार पैदल चलने वाले राहगीरों पर तेज रफ्तार में निकलते वाहनों से गंदा पानी उछलता है, जिससे वे परेशान हो जाते हैं।
मेडिकल कॉलेज जाने वाले मरीज और स्टाफ भी परेशान
यह मार्ग सिंगरौली मेडिकल कॉलेज और कई महत्वपूर्ण कार्यालयों से जुड़ा है। मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में एंबुलेंस तक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार ट्रैफिक इतना धीमा हो जाता है कि आपात स्थिति में भी लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। मेडिकल स्टाफ और छात्रों ने भी इस समस्या को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

जिम्मेदारों की चुप्पी, जनता का गुस्सा
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि उन्होंने नगर निगम और संबंधित विभागों को कई बार ज्ञापन सौंपा है, लेकिन अभी तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। सड़क मरम्मत को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। रहवासियों का कहना है कि जब तक किसी बड़े हादसे की खबर नहीं आती, तब तक प्रशासन की नींद नहीं खुलती।
एक स्थानीय व्यापारी का कहना है, “इस रास्ते से होकर रोज़ सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, लेकिन इसकी हालत किसी उबड़-खाबड़ खेत जैसी हो गई है। लगता है प्रशासन को तभी जाग आएगा जब किसी वीआईपी की गाड़ी यहां फंसेगी या कोई जानलेवा हादसा होगा।”
क्या कहते हैं अधिकारी?
इस सड़क की बदहाली को लेकर नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि बारिश थमने के बाद मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी बातें हर बार कही जाती हैं, पर काम ज़मीन पर नहीं दिखता।
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मेडिकल कॉलेज जैसी अहम सुविधा से जुड़ा मार्ग अगर इस हालत में है, तो जिले की अन्य अंदरूनी सड़कों की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। सिंगरौली जैसे औद्योगिक जिले में बुनियादी ढांचे की यह स्थिति प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सिर्फ शिकायती पत्रों और ज्ञापनों से संतुष्ट रहेगा या धरातल पर कुछ ठोस कदम भी उठाएगा?
जब सड़कें खाई बन जाएं और समस्याएं मौत की दहलीज़ पर खड़ी हों, तब सिर्फ वादे नहीं, जिम्मेदारी चाहिए।