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अमानक कीटनाशक से 1500 एकड़ फसल बर्बाद: सीहोर के किसानों पर टूटा संकट, FIR दर्ज, दुकान सील

सीहोर
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में किसानों पर एक बार फिर बड़ा संकट टूट पड़ा है। आष्टा के कन्नौद रोड स्थित “अंबिका पाटीदार ट्रेडर्स” नामक दुकान से खरीदी गई अमानक फफूंदनाशक दवा ने 20 गांवों के करीब 135 किसानों की 1500 एकड़ सोयाबीन फसल को बर्बाद कर दिया है। यह घटना न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेर गई, बल्कि उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से भी तोड़कर रख दिया है।

किसानों का फूटा गुस्सा, तहसील में डटे

खेमपुर गुलरिया, अरोलिया, परोलिया और अन्य ग्रामीण अंचलों के किसान सोमवार रात से लेकर मंगलवार दोपहर तक आष्टा तहसील कार्यालय में डटे रहे। किसान नायब तहसीलदार और कृषि अधिकारियों से कार्रवाई की मांग करते रहे। इनका कहना था कि दुकानदार ने उन्हें खराब दवा बेचकर धोखा दिया है, जिससे न केवल उनकी फसल खराब हुई है बल्कि उन्हें भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।

ये है पूरा मामला

किसानों ने बताया कि उन्होंने “अंबिका पाटीदार ट्रेडर्स” से 709 नामक फफूंदनाशक दवा खरीदी थी। इसे बीज उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया गया था, लेकिन बीज अंकुरित होने की बजाय सड़ गए या कमजोर होकर नष्ट हो गए। जब फसलें नष्ट होने लगीं, तब किसानों ने तहसील में शिकायत दर्ज कराई।

प्राथमिक जांच में सामने आया कि यह दवा नागपुर की यूनिवर्सल एग्रो केमिकल इंडस्ट्रीज द्वारा बनाई गई थी। किसानों की शिकायतों और जांच के बाद कृषि विभाग की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने दवा निर्माता कंपनी और विक्रेता के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जिन पर FIR हुई

  • सुष्मिता राय – प्रबंध निदेशक, यूनिवर्सल एग्रो केमिकल इंडस्ट्रीज
  • गोवर्धन धोने – सहायक प्रबंधक
  • मुकेश पाटीदार – प्रोपराइटर, अंबिका पाटीदार ट्रेडर्स

इनके खिलाफ धारा 118(4) BNS, कीटनाशी अधिनियम 29, और आवश्यक वस्तु अधिनियम 3/7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

दुकान सील, लाइसेंस निरस्त

कृषि विभाग की अनुशंसा के बाद अंबिका पाटीदार ट्रेडर्स का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। इसके बाद तहसीलदार राम पगारे ने कार्रवाई करते हुए दुकान को सील भी कर दिया।

जवाब नहीं देने पर हुई सख्ती

डीडीए एके उपाध्याय ने जब निर्माता कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा तो तय समय सीमा में जवाब नहीं आया। इसके बाद पुलिस कार्रवाई की गई और एफआईआर दर्ज कर ली गई।

लाड़कुई में भी हुआ था ऐसा ही मामला

इस घटना से कुछ दिन पहले लाड़कुई गांव में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां एक दुकानदार ने किसानों को अमानक बीज बेच दिया था, जिससे अंकुरण नहीं हो सका। वहां भी किसान एसडीएम के पास शिकायत लेकर पहुंचे थे।

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किसानों की मेहनत के साथ इस प्रकार की लापरवाही न केवल कृषि व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा करती है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही भी तय करती है। अच्छी बात यह रही कि इस बार प्रशासन ने तत्काल सख्त कदम उठाए, लेकिन यह सवाल अब भी कायम है कि अमानक दवाओं की बिक्री आखिर कैसे हो जाती है और उसे पहले क्यों नहीं रोका जा सका?

किसानों ने मांग की है कि उनके हुए नुकसान की भरपाई जल्द की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले, ताकि दोबारा ऐसी घटनाएं न हों।

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