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मां की आंखों के सामने बेटे ने तोड़ा जीवन का बंधन, मऊगंज में कुएं में कूदकर युवक ने की आत्महत्या

मऊगंज (मध्यप्रदेश)
मऊगंज जिले के हनुमना थाना अंतर्गत हाटा उप थाना क्षेत्र के रामकुड़वा कुंडा गांव में 23 जुलाई को दोपहर एक ऐसा हृदयविदारक दृश्य सामने आया, जिसने हर किसी का दिल झकझोर दिया।
27 वर्षीय राहुल साहू, जो कि गांव कोढवा का निवासी था, ने अपनी मां की आंखों के सामने ही कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। यह क्षण ऐसा था, जिसे देखकर कोई भी सामान्य नहीं रह सकता — मां की चीखें गांव भर में गूंज उठीं, लेकिन बेटे ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सुबह से था लापता, दोपहर में मिला कुएं के पास

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राहुल साहू सुबह से ही घर से गायब था। परिजनों ने जब काफी खोजबीन की, तो गांव के कुछ लोगों ने सूचना दी कि राहुल को हाटा स्थित एक पुराने कुएं के पास बैठे देखा गया है।
इस खबर पर उसकी मां घबरा गई और बेटे को बुलाने के लिए दौड़ती हुई कुएं के पास पहुंची। जैसे ही राहुल ने मां को देखा, वह अचानक ही कुएं में कूद गया। मां चीखती रह गई, लेकिन बेटे ने एक पल की भी देर नहीं की।

ग्रामीणों ने किया रेस्क्यू, नहीं बच पाई जान

घटना की जानकारी मिलते ही आसपास के ग्रामीण और परिजन मौके पर पहुंचे। लोगों ने जब कुएं में झांका तो राहुल का सिर ऊपर दिखा, लेकिन शरीर पानी में डूब चुका था।
ग्रामीणों ने किसी तरह रेस्क्यू कर उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राहुल की सांसें थम चुकी थीं

पुलिस ने की मौके पर कार्रवाई

सूचना पर उप थाना प्रभारी उप निरीक्षक गुलाब वर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को बाहर निकालकर पंचनामा कार्रवाई पूरी की और उसे हनुमना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मरचुरी में भिजवा दिया।
पुलिस अब मामले की जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश की जा रही है कि आखिर राहुल ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम क्यों उठाया

गांव में शोक की लहर, मां की हालत गंभीर

घटना के बाद से गांव में गहरा मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार, राहुल एक शांत स्वभाव का युवक था और उसकी किसी से कोई सीधी दुश्मनी नहीं थी।
उसकी मौत से गांव में हर किसी की आंखें नम हैं, और लोग एक ही सवाल कर रहे हैं – “आखिर ऐसी भी क्या बात थी जो एक बेटा अपनी मां की आंखों के सामने अपनी जिंदगी खत्म कर गया?”
राहुल की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार यही दोहरा रही हैं कि “काश मैं थोड़ा पहले पहुंच जाती, शायद मेरा बेटा बच जाता।”

समाज के लिए एक गहरी चेतावनी

यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंतन का विषय है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि आजकल के युवा तनाव, अवसाद और दबाव में जी रहे हैं, लेकिन वे इसे साझा नहीं कर पाते। परिवारों और समाज को चाहिए कि वे बच्चों से जुड़ाव बनाए रखें, उनकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करें

पुलिस जांच जारी, आत्महत्या के पीछे कारण तलाश रही टीम

फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच की प्रक्रिया जारी है। अब तक कोई सुसाइड नोट या ठोस कारण सामने नहीं आया है।
परिजनों और ग्रामीणों के बयान लिए जा रहे हैं, जिससे पता चल सके कि राहुल किन परिस्थितियों से गुजर रहा था।

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रामकुड़वा कुंडा गांव की यह घटना हमें बताती है कि हर मुस्कुराता चेहरा भीतर से खुश नहीं होता
आवश्यक है कि हम अपने अपनों से संवाद करें, उनके मन की स्थिति को समझें और समय रहते मदद करें।
राहुल तो चला गया, लेकिन उसकी मौत एक संदेश छोड़ गई — अब भी समय है, सुनिए और समझिए।

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