Homeबड़ी खबरेसंसद में डिंपल यादव के समर्थन में गरजा संसद , सीधी सांसद...

संसद में डिंपल यादव के समर्थन में गरजा संसद , सीधी सांसद राजेश मिश्रा भी दिखे हमलावर

भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत में इन दिनों नारी गरिमा को लेकर हलचल तेज है। हाल ही में एक महिला सांसद के विरुद्ध की गई अमर्यादित टिप्पणी ने संसद से लेकर सड़क तक आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इस घटना ने राजनीतिक दलों के बीच मतभेदों को भुलाकर एक स्वर में महिला सम्मान की आवाज बुलंद की है।

संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन

संसद परिसर में कई सांसदों ने एकत्र होकर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज किया। उनका साफ कहना था कि किसी भी महिला, खासकर एक निर्वाचित सांसद के सम्मान से खिलवाड़ देश के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान है।
“नारी का अपमान, लोकतंत्र का अपमान है”, इस भावना के साथ विभिन्न दलों के सांसदों ने संयुक्त रूप से विरोध दर्ज कराया। इनमें मध्यप्रदेश के कुछ वरिष्ठ सांसदों ने भी सहभागिता कर इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित किया।

सियासी चुप्पी पर उठे सवाल

विरोध कर रहे जनप्रतिनिधियों का यह भी कहना था कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस पूरे प्रकरण पर कुछ बड़े राजनीतिक चेहरे चुप हैं, जबकि वे सीधे तौर पर इससे जुड़े हैं। जनता यह जानना चाहती है कि आखिर महिला सम्मान के मुद्दे पर अब भी इतनी खामोशी क्यों?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुछ दल वोट बैंक की राजनीति के चलते इस विषय पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं। हालांकि समाज का बड़ा तबका इस चुप्पी को स्वीकृत नहीं कर रहा। सोशल मीडिया से लेकर चौपालों तक, लोग इस बात को उठा रहे हैं कि महिला अस्मिता पर हमला किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होना चाहिए।

संसद में उठी कार्रवाई की मांग

कई सांसदों ने इस विषय को सदन के भीतर भी प्रमुखता से उठाया और मांग की कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए जाएं। महिला सांसदों ने भी इस मुद्दे को लेकर एकजुटता दिखाई और कहा कि संसद में महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

“नारी शक्ति” पर देश की एकजुटता

यह केवल एक राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि समाज की सोच और संवेदनशीलता से जुड़ा विषय बन चुका है। देश भर की महिलाओं ने भी इस घटनाक्रम को लेकर नाराजगी जताई है। विभिन्न महिला संगठनों ने इस विषय पर वक्तव्य जारी कर सरकार और संसद से कठोर कदम उठाने की मांग की है।

सांसदों की पहल सराहनीय
इस मुद्दे पर कुछ सांसदों ने विशेष तौर पर आगे आकर यह संदेश दिया कि नारी का अपमान केवल महिला सांसदों का मामला नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र और समाज की प्रतिष्ठा का विषय है। उनकी पहल से यह संकेत गया है कि देश में अब किसी भी स्तर पर महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाली मानसिकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यह भी पढ़िए –  सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने पेश की इंसानियत की मिसाल, दुखी परिवार को दिलाया न्याय और सम्मान

यह घटनाक्रम केवल बयानबाज़ी का नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति की कसौटी का समय है। नारी के सम्मान पर किसी भी दल या नेता की चुप्पी राजनीतिक मजबूरी नहीं बननी चाहिए। संसद के भीतर जिस तरह से एकजुटता दिखाई दी, वह नारी गरिमा के समर्थन में एक सकारात्मक और सशक्त संदेश है।

RELATED ARTICLES

Most Popular