Homeप्रदेशशिक्षा के मंदिर की दुर्दशा: उमरिया के भरेवा महाविद्यालय की मार्मिक कहानी

शिक्षा के मंदिर की दुर्दशा: उमरिया के भरेवा महाविद्यालय की मार्मिक कहानी

उमरिया, मध्यप्रदेश।
मानपुर जनपद के ग्राम पंचायत भरेवा में स्थित शासकीय महाविद्यालय इन दिनों शिक्षा की बदहाली का प्रतीक बन गया है। लगभग 78 छात्र-छात्राएं बिना भवन, बिना शिक्षक, बिना किसी मूलभूत सुविधा के घोर कठिनाइयों के बीच अपनी पढ़ाई जारी रखने को मजबूर हैं।

कॉलेज है, लेकिन व्यवस्था नहीं

सरकार ने भरेवा में महाविद्यालय तो खोल दिया, लेकिन उसके संचालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से उपेक्षित है। न भवन है, न स्थायी स्टाफ, न प्रशासनिक व्यवस्था। यह कॉलेज एक खाली पड़े स्कूल भवन में जैसे-तैसे चलाया जा रहा है।

पूर्व शिक्षक अरुणेंद्र बहादुर सिंह, जो पहले डेप्लॉयमेंट पर यहां कार्यरत थे, बताते हैं कि उनकी अवधि समाप्त हो चुकी है और फिलहाल कॉलेज में कोई शिक्षक या कर्मचारी मौजूद नहीं है। कॉलेज में एक भी स्थायी पदस्थापन नहीं हुआ है। यह स्थिति राज्य सरकार की शिक्षा नीति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

छात्रों के भविष्य पर संकट

कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र राजेश चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्हें पढ़ाई के लिए खुद ही नोट्स तैयार करने पड़ते हैं, कोई गाइडेंस नहीं मिलती। परीक्षाएं मानपुर में आयोजित होती हैं, जहां तक पहुंचना मुश्किल और खर्चीला है। “हम छात्राएं भी हैं, गांव से बाहर परीक्षा देने जाना सुरक्षा और संसाधनों दोनों की चुनौती है,” उन्होंने जोड़ा।

मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन, फिर भी कोई सुनवाई नहीं

छात्रों ने कई बार इस गंभीर स्थिति को शासन-प्रशासन तक पहुँचाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पाली दौरे के दौरान उन्हें ज्ञापन भी सौंपा गया। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्रों की आवाज़ को अनसुना कर देना भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

प्रशासन का रवैया उदासीन

जब उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन से इस विषय में पूछा गया तो उनका जवाब था कि “यह मामला शासन स्तर का है, और शासन को जानकारी है।” इस तरह की टालमटोल भरी प्रतिक्रियाएं प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती हैं।

भाजपा की चुप्पी, कांग्रेस की चिंता

भाजपा जिला अध्यक्ष आशुतोष अग्रवाल ने कहा कि उन्हें अब इस विषय की जानकारी मिली है और वे उच्च शिक्षा मंत्री से चर्चा करेंगे। सवाल यह है कि जब छात्रों ने मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन सौंपा, तो भाजपा के स्थानीय नेता इससे अनभिज्ञ कैसे रहे?

वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय सिंह ने बताया कि कॉलेज के लिए जमीन तक 2023-24 में नहीं थी। जब उन्होंने प्रयास किया, तभी जाकर जमीन का आवंटन हुआ। उन्होंने विधानसभा सत्र में यह मुद्दा उठाने की बात कही, लेकिन अफसोस है कि भाजपा सरकार खुद ही सत्र समय से पहले समाप्त कर देती है।

शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि सरकार सिर्फ कॉलेजों के उद्घाटन में रुचि रखती है, उनके संचालन में नहीं। भरेवा महाविद्यालय की दुर्दशा यह बताती है कि भाजपा सरकार की शिक्षा व्यवस्था केवल कागजों में ही सक्रिय है।

यह केवल भरेवा की कहानी नहीं है, बल्कि राज्य भर में कई ऐसे कॉलेज हैं जो इसी तरह उपेक्षा का शिकार हैं। अगर सरकार समय रहते नहीं जागी, तो इन छात्रों का भविष्य अंधकार में खो जाएगा।

यह भी पढ़िए – सीधी को मिले दो शव वाहन, सांसद राजेश मिश्रा ने दिखाई हरी झंडी – बोले, गरीबों को राहत देने वाली है ये पहल

अब समय है कार्रवाई का, दिखावे का नहीं।
भरेवा के छात्र पूछ रहे हैं — “क्या हमारा भविष्य भी राजनीतिक घोषणाओं की तरह अधूरा ही रह जाएगा?”

RELATED ARTICLES

Most Popular