भोपाल से पूर्व सांसद और मालेगांव विस्फोट मामले में चर्चित रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक नई राजनीतिक हलचल की नींव रख दी है। हाल ही में भोपाल पहुंची साध्वी ने ऐलान किया कि वह एक पुस्तक लिख रही हैं, जिसमें वे अपने जीवन के नौ साल जेल में बिताए गए कड़े अनुभवों, राजनीतिक षड्यंत्रों और तथाकथित ‘हिंदू आतंकवाद’ के फर्जी नैरेटिव का पर्दाफाश करेंगी।
“अब चुप नहीं रहूंगी”: साध्वी की दो टूक
प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“मैंने जो भुगता है, उसे शब्दों में बयां कर पाना आसान नहीं है। लेकिन अब मैं चुप नहीं रहूंगी। मेरी किताब एक दस्तावेज होगी उस अन्याय की, जिसे मैं और मेरे जैसे कई निर्दोष लोगों ने सहा है।”
उनका दावा है कि मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें बिना ठोस सबूतों के गिरफ्तार किया गया, और नौ साल तक एक राजनीतिक साजिश के तहत जेल में यातनाएं दी गईं। इस दौरान उन्होंने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक संघर्ष झेले। अब जब कोर्ट से उन्हें बरी कर दिया गया है, तो वह चाहती हैं कि देश की जनता “वास्तविक सच्चाई” को जाने।
किताब में होंगे चौंकाने वाले खुलासे
साध्वी प्रज्ञा के मुताबिक, किताब में वह उन ‘छिपी साजिशों’ और ‘राजनीतिक दवाबों’ का भी ज़िक्र करेंगी, जो इस केस को सालों तक खींचते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि “कुछ ताकतवर लोग हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ना चाहते थे और हम जैसे संतों को मोहरा बनाया गया।”
हालांकि, साध्वी ने अब तक किताब का नाम या प्रकाशन तिथि घोषित नहीं की है, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि यह किताब जल्द ही प्रकाशित की जाएगी और इसमें कुछ ‘बड़े नाम’ भी उजागर हो सकते हैं।

मालेगांव ब्लास्ट केस: संक्षिप्त पृष्ठभूमि
साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट में कई लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत कई लोगों को आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सालों की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद कई आरोपी बरी कर दिए गए, और जांच एजेंसी एनआईए की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे।
राजनीतिक हलकों में हलचल तय
प्रज्ञा ठाकुर की किताब को लेकर राजनीतिक गलियारों में पहले से ही चर्चाएं तेज़ हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि किताब में उन घटनाओं और नामों का उल्लेख होता है, जिनका इशारा साध्वी कर रही हैं, तो यह देश की राजनीति में बड़ा तूफान खड़ा कर सकती है।
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए साध्वी ने कहा कि “जिस तरह से मुझे और मेरे जैसे कई लोगों को फंसाया गया, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय है।”
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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की प्रस्तावित पुस्तक न केवल उनके जीवन के एक कठिन दौर को उजागर करेगी, बल्कि यह देश में “आतंकवाद बनाम राष्ट्रवाद” की बहस को भी एक नई दिशा दे सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी किताब में क्या खुलासे होते हैं और उन पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं कैसी आती हैं।