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रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत को घसीटने की कोशिश? अमेरिकी दबाव और यूक्रेनी आरोपों के बीच नई बहस

रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल बीतने के बाद भी भू-राजनीतिक तनाव कम नहीं हो रहा है, और अब भारत इस संघर्ष की आंच में घिरता दिख रहा है। रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की नाराज़गी के बाद, यूक्रेन ने भी भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं — जिसमें दावा किया गया है कि रूस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ईरानी ड्रोन में भारतीय कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे लगे हैं।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बयान देते हुए कहा कि भारत रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीद कर मुनाफा कमा रहा है, जो अमेरिका को मंजूर नहीं है। ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि भारत पर जुर्माना लगाया जा सकता है और वह देश को चेतावनी भी दे चुके हैं।

यूक्रेन का आरोप: भारतीय पुर्जे इस्तेमाल हो रहे हैं रूसी ड्रोन में

रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेन ने औपचारिक रूप से भारत सरकार और यूरोपीय संघ (EU) के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। यूक्रेनी अधिकारियों का दावा है कि रूसी सेना द्वारा युद्ध में प्रयोग हो रहे ईरानी डिज़ाइन के “शाहिद” ड्रोन में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे लगे हैं।

सूत्रों के अनुसार:

  • ड्रोन की वोल्टेज रेगुलेटर यूनिट में भारतीय कंपनी “विशाय इंटरटेक्नोलॉजी” द्वारा निर्मित ब्रिज रेक्टिफायर E300359 का प्रयोग हुआ है।
  • वहीं, जैमर-प्रूफ एंटीना में ऑरा सेमीकंडक्टर की PLL-बेस्ड सिग्नल जनरेटर AU5426A चिप पाई गई है।

हालांकि, तकनीकी दृष्टिकोण से इन दोनों कंपनियों ने भारत के किसी भी निर्यात कानून का उल्लंघन नहीं किया है, ऐसा अधिकारियों का कहना है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया: निर्यात कानूनों का सख्ती से पालन

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“भारत द्वारा दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं का निर्यात परमाणु अप्रसार पर हमारे अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप है और यह मजबूत घरेलू कानूनों और नियामक ढांचे पर आधारित है। किसी भी निर्यात के पहले पूरी जांच-पड़ताल की जाती है।”

यह स्पष्ट संकेत है कि भारत की ओर से कोई जानबूझकर या नियमविरुद्ध सहयोग नहीं हुआ है।

अमेरिकी दोहरा मापदंड? चीन को बख्शा, भारत पर दबाव

दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप भारत को लगातार घेरने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि चीन रूस से भारत से कहीं ज्यादा तेल खरीद रहा है। फिर भी ट्रंप या अमेरिकी प्रशासन ने चीन के खिलाफ अब तक कोई ठोस बयान नहीं दिया है। विश्लेषक इसे अमेरिका की रणनीतिक राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं।

भारत की स्थिति: रणनीतिक स्वतंत्रता की नीति

भारत लंबे समय से “रणनीतिक स्वतंत्रता (Strategic Autonomy)” की नीति पर चलता आ रहा है। भारत ने रूस से तेल खरीदने का निर्णय अपने ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है, ना कि किसी राजनीतिक मंशा से।

विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को किसी भी विदेशी दबाव में आकर अपने हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, और अमेरिका या यूक्रेन जैसे देशों को भारत के घरेलू मामलों में अनावश्यक दखल नहीं देना चाहिए।

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भारत एक विकासशील देश होते हुए भी वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। चाहे बात तेल व्यापार की हो या इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों की आपूर्ति की — भारत के पास मजबूत कानून और पारदर्शी प्रक्रियाएं हैं। अमेरिका और यूक्रेन की ओर से लगाए जा रहे आरोप भारत की संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति को चुनौती देने जैसे हैं, जिन्हें भारत ने हमेशा शांत और जिम्मेदार तरीके से जवाब दिया है।

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