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मंडला जिले में यूरिया के लिए मचा हाहाकार, भीड़ संभालने पहुंची पुलिस, महिला किसान खाली हाथ लौटीं

मंडला, मध्यप्रदेश।
मंडला जिले में यूरिया खाद की किल्लत और बारिश के चलते रुके वितरण ने आखिरकार सोमवार को बड़ा संकट खड़ा कर दिया। मौसम खुलते ही जिलेभर के किसान खाद गोदामों की ओर टूट पड़े। खैरी, नैनपुर और सिंगारपुर समेत कई केंद्रों पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि खैरी गोदाम में व्यवस्था संभालने पुलिस को बुलाना पड़ा। इसके बावजूद कई किसान, विशेषकर महिलाएं, खाली हाथ लौटने को मजबूर रहीं।

भीड़ से बिगड़ी व्यवस्था, पुलिस बुलानी पड़ी

बारिश रुकने के बाद जैसे ही खाद का वितरण शुरू हुआ, किसानों ने राहत की उम्मीद में केंद्रों का रुख किया। लेकिन एक साथ हजारों किसानों के आने से व्यवस्था चरमरा गई। खैरी विपणन केंद्र में सुबह 5 बजे से ही किसानों की कतार लगने लगी थी, जो दोपहर होते-होते बेकाबू हो गई। केंद्र पर केवल 200 किसानों को ही पीओएस मशीन के जरिए खाद मिल सकती थी, लेकिन 500 से अधिक किसान कतार में थे। हंगामे के बीच कतारें टूट गईं और पहले खाद पाने की होड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। तत्काल जिला विपणन अधिकारी और राजस्व अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और पुलिस की मदद ली गई। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन हालात सामान्य होने में वक्त लगा।

महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

महिला किसानों के लिए अलग काउंटर तो बनाए गए थे, लेकिन वहां भी भीड़ बेकाबू हो गई। महिला पुलिस की गैरमौजूदगी के चलते वहां मौजूद जवान हालात नहीं संभाल सके। मजबूरी में कुछ समय के लिए खाद वितरण बंद करना पड़ा। दोपहर बाद स्थिति कुछ हद तक संभली, लेकिन तब तक कई महिलाएं खाली हाथ लौट चुकी थीं।

एक महिला किसान ने कहा:
“सुबह 5 बजे से लाइन में खड़ी हूं। लेकिन धक्का-मुक्की में पीछे रह गई। अब कह रहे हैं खाद खत्म हो गया। व्यवस्था बेहद खराब है।”

टोकन सिस्टम भी बना तनाव का कारण

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने टोकन सिस्टम शुरू किया। शुरुआत में 165 टोकन बांटे गए, लेकिन जब टोकन लेने वालों की संख्या बढ़ती गई, तो और टोकन दिए गए। किसानों से कहा गया कि वे अगली सुबह टोकन के आधार पर खाद ले सकते हैं। मगर किसान इस व्यवस्था से भी संतुष्ट नहीं दिखे। उन्हें डर है कि अगली बार भी खाद मिल पाएगा या नहीं।

एक किसान ने नाराजगी जताते हुए कहा:
“हम दो बोरी खाद के लिए सुबह से लाइन में लगे हैं। अब टोकन देकर भेजा जा रहा है। मगर कल भी ऐसी भीड़ रही तो क्या खाद मिलेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।”

जिले में यूरिया की उपलब्धता

जिले में हाल ही में 560 मीट्रिक टन यूरिया आया है, जो अलग-अलग केंद्रों पर बांटा गया है।

  • मंडला मुख्यालय: 90 मीट्रिक टन
  • नैनपुर: 100 मीट्रिक टन
  • बिछिया: 92 मीट्रिक टन
  • लेम्पस समितियां: 250 मीट्रिक टन
    इसके अतिरिक्त 30 मीट्रिक टन खाद मार्केटिंग सोसाइटी बिछिया को भी मिला है। फिर भी यह मात्रा जिले की जरूरत के हिसाब से नाकाफी साबित हो रही है।

प्रशासन के लिए चेतावनी और सबक

यह संकट प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि वितरण व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। किसानों की जरूरतों और मौसमी परिस्थितियों के अनुसार खाद की उपलब्धता और वितरण व्यवस्था की सटीक योजना बनाई जानी चाहिए, ताकि किसानों को समय पर राहत मिल सके।

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मंडला का यह खाद संकट प्रशासन की तैयारी और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाता है। किसानों को समय पर खाद मिलना उनकी फसल और आजीविका के लिए बेहद जरूरी है। यदि जल्द ठोस उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में संकट और गहराने की आशंका है।

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