Homeप्रदेशउमरिया की महिलाओं का अनोखा विरोध, सड़क में बोया धान

उमरिया की महिलाओं का अनोखा विरोध, सड़क में बोया धान

उमरिया, मध्यप्रदेश।
“अगर सड़क नहीं बनी, तो हम यहीं खेती करेंगे” — यह नारा नहीं, बल्कि उमरिया जिले के बड़खेड़ा गांव की नाराज महिलाओं का दो-टूक ऐलान था। और इस ऐलान को उन्होंने सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि कीचड़ से भरी सड़क पर ही धान की रोपाई कर दी। यह दृश्य अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और प्रशासन की सुस्ती पर करारा तमाचा बन गया है।

मानपुर से महज 9 किलोमीटर दूर स्थित बड़खेड़ा गांव, वर्षों से सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। हर बरसात में यहां की सड़कें दलदल में तब्दील हो जाती हैं। इस बार ग्रामीणों ने जब देखा कि एक और बारिश का मौसम आया और अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने विरोध का ऐसा तरीका अपनाया जिसकी चर्चा अब पूरे जिले में हो रही है।

महिलाएं बनीं आंदोलन की अगुवा

सोमवार सुबह समहा टोला और चौधिराईंन मोहल्ला की दर्जनों महिलाएं कुदाल और धान के बिचड़े लेकर सड़क पर उतरीं। उन्होंने कीचड़ भरी, जर्जर सड़क को ही खेत मान लिया और वहीं धान की रोपाई शुरू कर दी। इस विरोध प्रदर्शन में सिर्फ नाराजगी नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था — “अब और नहीं सहेंगे”।

स्थानीय महिला मीना सिंह कहती हैं,
“पिछले चार सालों से हम सरपंच और सचिव से कह रहे हैं कि सड़क बनवाओ। हर बार कहा गया – बजट नहीं आया, फाइल अटकी है। अब हमने ठान लिया है कि इंतजार नहीं करेंगे।”

सड़क ही नहीं, शौचालय भी नहीं

बड़खेड़ा गांव में केवल सड़क ही नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी मूलभूत सुविधाएं भी लचर स्थिति में हैं। शासकीय प्राथमिक विद्यालय में शौचालय नहीं है, जिससे छोटे-छोटे बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल बच्चों की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है।

महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में महिलाएं कमर भर कीचड़ में धान लगाते हुए दिख रही हैं और आस-पास खड़े लोग इस दृश्य को मोबाइल में कैद कर रहे हैं। यह वीडियो अब जिला प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठा रहा है और लोगों में आक्रोश पैदा कर रहा है।

राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू

इस मामले पर कांग्रेस नेत्री व जनपद सदस्य रोशनी सिंह ने भी भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा,
“यह सरकार सिर्फ शहरों की चमक-धमक दिखाती है, गांवों की सच्चाई ये है कि लोग सड़क के बिना जी रहे हैं। बड़खेड़ा की महिलाएं सड़क पर धान रोप रही हैं और सरकार आंख मूंदे बैठी है।”

प्रशासन चुप, ग्रामीण अब आंदोलन की राह पर

घटना के बाद से अब तक स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, ग्रामीणों का गुस्सा अब आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सड़क निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो वे जिला मुख्यालय जाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे।

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बड़खेड़ा गांव की सड़क पर लगाया गया यह धान, असल में उस विकास की प्रतीक्षा का प्रतीक है जो सिर्फ घोषणाओं में रहा, लेकिन जमीनी हकीकत तक नहीं पहुंचा। यह घटना सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन हजारों ग्रामीणों की आवाज है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

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