Homeप्रदेशबांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास युवक पर बाघ का हमला, हालत गंभीर

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास युवक पर बाघ का हमला, हालत गंभीर

उमरिया, मध्यप्रदेश
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। गुरुवार सुबह मानपुर बफर जोन के अंतर्गत आने वाले ग्राम बांसा में एक युवक पर बाघ ने जानलेवा हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। समय पर उपचार मिलने से युवक की जान तो बच गई, लेकिन उसका इलाज फिलहाल जारी है।

जंगल गया था मवेशी चराने

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम बांसा निवासी मुनीराज सिंह, उम्र 28 वर्ष, रोज की तरह अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल की ओर गया था। यह क्षेत्र बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफर रेंज में आता है, जो बाघों की सक्रियता के लिए पहले से ही जाना जाता है।

जैसे ही मुनीराज जंगल के अंदर पहुंचा, एक बाघ ने झाड़ियों में छिपकर उस पर अचानक हमला कर दिया। बाघ के पैरों के पंजों और तेज दांतों से युवक के शरीर पर गंभीर घाव हो गए। बताया जा रहा है कि हमले के दौरान मुनीराज ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की, शोर मचाया, जिससे आसपास के कुछ ग्रामीणों को इसकी भनक लगी और वे दौड़कर मौके पर पहुंचे।

वन विभाग ने पहुंचाया अस्पताल

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम और मानपुर के परिक्षेत्र अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। घायल अवस्था में पड़े मुनीराज को वहां से उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मानपुर लाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि युवक की स्थिति गंभीर थी, लेकिन उपचार शुरू होते ही उसे राहत मिलने लगी।

स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों के अनुसार,

“मुनीराज के कंधे, पीठ और जांघों पर गहरे घाव हैं। काफी खून बह चुका था, लेकिन समय पर प्राथमिक उपचार मिलने से स्थिति स्थिर बनी हुई है। बेहतर इलाज के लिए जरूरत पड़ी तो उसे जिला अस्पताल रेफर किया जाएगा।”

वन्यजीव संघर्ष बना स्थायी संकट

यह कोई पहली घटना नहीं है जब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को वन्यजीवों के हमलों का शिकार होना पड़ा हो। विशेषकर बफर जोन में रहने वाले ग्रामीण हर दिन जान का खतरा उठाकर खेत और जंगल जाते हैं। बाघों और तेंदुओं की सक्रियता के कारण मवेशी चराना भी जोखिम भरा हो गया है।

ग्राम प्रधान और स्थानीय लोगों ने वन विभाग से इस विषय में ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि बाघों की लगातार मौजूदगी से लोग डरे हुए हैं और अब जंगल में जाना ही बंद करना पड़ेगा।

प्रशासन और विभाग क्या कर रहे हैं?

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह इलाका पहले से ही बाघों की गतिविधि के तहत चिन्हित है। बाघों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कैमरा ट्रैप, गश्त बढ़ाना, और ग्रामीणों को जागरूक करना जैसी कोशिशें की जा रही हैं। विभाग अब इस हमले के बाद पीड़ित को मानव-वन्यजीव संघर्ष राहत योजना के तहत आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया भी शुरू करेगा।

वन विभाग के मानपुर परिक्षेत्र अधिकारी ने कहा:

“हम मामले की पूरी जांच कर रहे हैं। गांव में लोगों को अलर्ट किया गया है और निगरानी बढ़ा दी गई है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए फेंसिंग, निगरानी ड्रोन और अलार्म सिस्टम पर भी विचार हो रहा है।”

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बांधवगढ़ जैसे टाइगर रिजर्व के पास बसे गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष अब आम बात हो चुकी है। जरूरत है कि प्रशासन स्थायी समाधान निकाले, जिससे वन्यजीवों की भी रक्षा हो और इंसानों की भी जान सलामत रहे।

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