भोपाल
मध्यप्रदेश कांग्रेस में हाल ही में घोषित जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां अब पार्टी के भीतर ही बड़ा विवाद खड़ा कर रही हैं। कई जिलों में कार्यकर्ताओं और नेताओं ने नए अध्यक्षों के नामों पर खुलकर आपत्ति जताई है। स्थिति गंभीर होती देख प्रदेश कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को कड़ा संदेश दिया है और चेतावनी पत्र जारी करते हुए सोशल मीडिया से विरोध वाले पोस्ट हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही पार्टी ने 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया है कि अगर कार्यकर्ता निर्देश नहीं मानते हैं तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जीतू पटवारी की सख्त चेतावनी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले पर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि,
“जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में मेरा कोई व्यक्तिगत दखल नहीं है। यह जिम्मेदारी ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत दी गई है। कोई भी कार्यकर्ता उचित मंच पर अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन सार्वजनिक रूप से विरोध पार्टी की अनुशासनहीनता है।”

पटवारी ने यह भी ऐलान किया कि जिलाध्यक्षों को छह महीने का अल्टीमेटम दिया गया है। इस दौरान उनके कामकाज की बारीकी से समीक्षा की जाएगी। अगर कोई अध्यक्ष कसौटी पर खरा नहीं उतरता तो उसे हटाकर नए चेहरे को मौका दिया जाएगा।
किन जिलों में उठी बगावत?
प्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में 71 जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। इसके बाद से लगभग 15 जिलों में विरोध खुलकर सामने आया है। इनमें गुना, रीवा, सतना, इंदौर, उज्जैन, भिंड, अशोकनगर, दतिया, मंदसौर, अनूपपुर, मुरैना, बुरहानपुर, डिंडोरी, देवास जैसे जिले प्रमुख हैं।
- इंदौर सहित कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खुलेआम विरोध किया।
- मीनाक्षी नटराजन के करीबी बताए जाने वाले उमरिया और मंदसौर जिलाध्यक्षों के नामों पर भी आपत्तियां दर्ज हुईं।
- रीवा और सतना में नए अध्यक्षों को लेकर असंतोष साफ दिखा।
जयवर्धन सिंह का मामला सबसे चर्चित
सबसे ज्यादा हलचल पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ गुना और राजगढ़ में देखने को मिली। यहां कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह को जिला अध्यक्ष बनाकर उनका कद छोटा किया गया है। कुछ नेताओं ने इसके लिए सीधे जीतू पटवारी को जिम्मेदार ठहराया।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि जयवर्धन सिंह समेत 10 जिलाध्यक्षों का चयन दिल्ली नेतृत्व द्वारा किया गया है, न कि प्रदेश स्तर पर। इनमें दिग्विजय सिंह के भतीजे प्रियव्रत सिंह, विधायक ओमकार, पूर्व विधायक विपिन, प्रतिभा रघुवंशी, विधायक सिद्धार्थ, मनीष चौधरी, विधायक महेश परमार के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं।
कांग्रेस में गुटबाजी हुई तेज
विश्लेषकों का मानना है कि इन नियुक्तियों के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और खींचतान और तेज हो सकती है। एक ओर स्थानीय कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली और भोपाल के नेतृत्व में दूरी की खाई गहराती दिख रही है।
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फिलहाल कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस पूरे विवाद को दबाने की कोशिश में जुटा है। देखना होगा कि 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद पार्टी में कितने नेता और कार्यकर्ता चुप होते हैं और कितने खुलेआम विरोध जारी रखते हैं।