भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से ड्रग्स का अब तक का सबसे बड़ा जाल बेनकाब हुआ है। डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (DRI) ने शनिवार, 16 अगस्त को ऑपरेशन ‘क्रिस्टल ब्रेक’ के तहत जगदीशपुरा (इस्लामनगर) इलाके में छापेमारी कर 61.20 किलो तरल मेफेड्रोन (एमडी ड्रग्स) और 541 किलो कच्चा माल बरामद किया है। बरामद माल की अनुमानित कीमत लगभग 92 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
कार्रवाई में एक केमिस्ट और उसके हेल्पर समेत अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि इस ड्रग्स नेटवर्क को विदेश में बैठे मास्टरमाइंड के इशारे पर ऑपरेट किया जा रहा था।
विदेश कनेक्शन और खतरनाक केमिकल्स
DRI अधिकारियों ने बताया कि जब्त कच्चे माल में मेथिलीन डाइक्लोराइड, एसीटोन, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, मोनोमेथिलमाइन और 2-ब्रोमो जैसे खतरनाक केमिकल्स शामिल हैं। इन्हीं के सहारे एमडी ड्रग्स तैयार की जाती थी। फैक्ट्री के भीतर हाई-टेम्परेचर मशीनें, प्रोसेसिंग यूनिट और मिक्सर लगाए गए थे।
हवाला से आता था पैसा, मुंबई से पहुंचते थे केमिकल्स
छानबीन में यह खुलासा हुआ है कि ड्रग्स बनाने का पूरा फंडिंग नेटवर्क गुजरात के सूरत से हवाला के जरिए चलाया जा रहा था। वहीं, आवश्यक केमिकल्स मुंबई के भिवंडी से सप्लाई किए जाते थे। यूपी के बस्ती जिले से एक सप्लायर को भी पकड़ा गया है जिसने इस सप्लाई चेन की पुष्टि की है।

टीन शेड से ढकी थी फैक्ट्री
फैक्ट्री जिस मकान में बनाई गई थी, वह पूरी तरह टीन शेड से ढंका हुआ था ताकि किसी को संदेह न हो। यह मकान विदिशा के रहने वाले रज्जाक नामक शख्स ने हाल ही में खरीदा था। रिकॉर्ड्स के मुताबिक यह प्लॉट 16 जुलाई को 13.50 लाख रुपये में खरीदा गया और 1 अगस्त को इसमें नया बिजली मीटर लगवाया गया था।
जहरीली गंध और जानवरों की मौत
स्थानीय रहवासियों ने बताया कि मकान से देर रात तक काम चलता था और कई बार अजीब सी गंध आती थी। वहां से गुजरने पर आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होती थी। लोगों का दावा है कि फैक्ट्री से निकले जहरीले कचरे को खाने से कई जानवरों की मौत भी हो चुकी है।
10 महीने पहले भी मिली थी ड्रग्स की बड़ी खेप
यह पहली बार नहीं है जब भोपाल से इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई हो। लगभग 10 महीने पहले, अक्टूबर 2024 में, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और गुजरात एटीएस ने कटारा हिल्स के बगरोदा इलाके में छापा मारकर 900 किलो एमडी ड्रग्स बरामद की थी, जिसकी कीमत करीब 1814 करोड़ रुपये थी।
DRI की सख्त निगरानी
DRI ने अब इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, इस गिरोह के धागे विदेशी ड्रग माफियाओं से जुड़े हुए हैं। एजेंसियां अब हवाला नेटवर्क, सप्लायर और मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
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भोपाल में लगातार दूसरी बार इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स का पकड़ा जाना यह साबित करता है कि मध्यप्रदेश धीरे-धीरे ड्रग माफियाओं का नया हब बनता जा रहा है।