छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश की सियासत में इन दिनों कांग्रेस के एक अनोखे विरोध प्रदर्शन ने हलचल मचा दी है। दरअसल, कांग्रेस नेताओं ने छिंदवाड़ा कलेक्ट्रेट में किसानों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपना चाहा, लेकिन कलेक्टर की अनुपस्थिति में पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रतीकात्मक रूप से एक कुत्ते को ज्ञापन सौंप दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। भाजपा ने इस कदम को संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान बताया है।
भाजपा का हमला, संविधान का अपमान बताया
भोपाल से भाजपा विधायक और वरिष्ठ नेता रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह कदम न केवल अमर्यादित है, बल्कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे संविधान का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जैसे गरिमामयी पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की भाषा और सोच से बचना चाहिए। रामेश्वर शर्मा ने कहा, “नेता प्रतिपक्ष का पद जनता का विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है, लेकिन उमंग सिंघार ने इसे मजाक बनाकर रख दिया है। उनका व्यवहार लोकतांत्रिक मर्यादाओं और भाषा की गरिमा के खिलाफ है।”
“संविधान ही संघ की प्रेरणा”
रामेश्वर शर्मा ने आगे कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा संविधान को सर्वोपरि मानता आया है और राष्ट्रसेवा में निरंतर सक्रिय है। उन्होंने याद दिलाया कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तक संघ की अनुशासनप्रियता और देशभक्ति से प्रभावित होकर उसे गणतंत्र दिवस की परेड में आमंत्रित कर चुके हैं। शर्मा ने कहा, “कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान उनकी मानसिक दिवालियापन और राजनीतिक हताशा को दर्शाते हैं। कलेक्टर जैसे सम्मानित पद को ‘चड्डी’ जैसे शब्दों से संबोधित करना निंदनीय है और लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए घातक है।”
कांग्रेस का विरोध और “कुत्ते को ज्ञापन”
गौरतलब है कि बुधवार को छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने किसान बचाओ आंदोलन के तहत जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान पूर्व सांसद नकुलनाथ, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी समेत करीब 20 विधायक और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। कलेक्ट्रेट का घेराव करते समय जब कलेक्टर कार्यालय में मौजूद नहीं थे, तो कांग्रेस नेताओं ने विरोध स्वरूप एक कुत्ते को प्रतीकात्मक तौर पर ज्ञापन सौंप दिया।

यह विरोध कांग्रेस की ओर से प्रशासन और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताने का तरीका था। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि किसानों की गंभीर समस्याओं पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है, और सरकार किसानों की आवाज दबा रही है।
सियासत गरमाई
इस घटना के सामने आने के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भाजपा जहां इसे संविधान का अपमान और कांग्रेस की हताशा बता रही है, वहीं कांग्रेस नेता इसे किसानों की आवाज बुलंद करने का प्रतीकात्मक तरीका बता रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि जब जनता की बात सुनने के लिए अधिकारी उपलब्ध नहीं रहते, तो ऐसे विरोध की नौबत आती है।
यह भी पढ़िए – सीधी जिला अस्पताल में लापरवाही का बड़ा खुलासा – 21 वर्षीय युवती को लगाई गई एक्सपायरी दवाई, प्रशासन पर उठे सवाल
कुत्ते को ज्ञापन सौंपने की यह घटना भले ही प्रतीकात्मक विरोध रही हो, लेकिन इसने प्रदेश की सियासत में गरमी बढ़ा दी है। भाजपा इसे संवैधानिक मूल्यों का अपमान बताकर कांग्रेस को घेर रही है, जबकि कांग्रेस इसे जनता की उपेक्षा के खिलाफ मजबूरी में किया गया कदम बता रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तीखी राजनीतिक बयानबाजी देखने को मिल सकती है।