मुरैना। जिले से पुलिस महकमे को झकझोर देने वाली बड़ी खबर सामने आई है। पुलिस लाइन में पदस्थ इंस्पेक्टर रामबाबू यादव ने 37 साल की सेवा के बाद इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ की लगातार प्रताड़ना और जलील करने की प्रवृत्ति के कारण वे इस कदम को उठाने पर मजबूर हुए। इंस्पेक्टर यादव ने इस्तीफे में भावुक अंदाज में लिखा कि उन्होंने सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक की लंबी यात्रा ईमानदारी, निष्ठा और कड़ी मेहनत से पूरी की, लेकिन अंत में उन्हें अपमान और निराशा ही मिली।
इस्तीफे में छलका दर्द
इंस्पेक्टर यादव ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि उन्होंने विभाग को अपनी जवानी और पसीना दिया। कई बड़े मामलों की गुत्थियां सुलझाईं, पर इसके बावजूद उन्हें सम्मान देने की जगह अपमानित किया गया। उन्होंने कहा कि 10 महीने पहले एक थाने में हुई मौत के समय वे मौजूद भी नहीं थे, फिर भी उन्हें जिम्मेदार ठहराकर अनुचित कार्रवाई की गई।
बड़े मामलों को सुलझाने के बावजूद अपमान
रामबाबू यादव ने बताया कि उन्होंने रिठौरा लूटकांड और जौरा डकैती कांड जैसे बड़े मामलों को सुलझाया। कई दिनों की मेहनत से हथियार और आरोपियों को पकड़ा। जब अन्य टीमें विफल रहीं, तब उन्हें जिम्मेदारी दी गई और उन्होंने सफलता हासिल की। इसके बावजूद एसपी ने उन्हें बार-बार जलील किया।

उन्होंने लिखा – “लगातार जलील करना आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। मैं कायर नहीं हूं, इसलिए आत्महत्या की बजाय इस्तीफा देकर अपने और अपने परिवार की रक्षा करना ही उचित समझा।”
पुलिस महकमे में मची खलबली
इस घटना ने पूरे पुलिस विभाग को हिलाकर रख दिया है। जवानों के बीच चर्चा है कि अगर 37 साल तक सेवा देने वाले तेज-तर्रार अफसर को अपमानित कर इस्तीफा देने पर मजबूर किया जा सकता है, तो निचले स्तर पर काम करने वाले पुलिसकर्मियों की स्थिति और भी दयनीय होगी।
सरकार और पुलिस प्रशासन पर सवाल
इंस्पेक्टर यादव का इस्तीफा न सिर्फ पुलिस विभाग बल्कि सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। यह घटना दर्शाती है कि यदि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अधीनस्थों के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाएगा, तो उनका मनोबल टूटेगा और इसका सीधा असर कानून-व्यवस्था पर पड़ेगा।
पुलिस कर्मियों के मनोबल पर असर
यादव के इस्तीफे से यह साफ है कि विभाग में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। पुलिस महकमे में पहले से ही काम का बोझ, लंबी ड्यूटी और सीमित संसाधनों की समस्या है। ऐसे में अगर अफसरों को लगातार अपमान और प्रताड़ना झेलनी पड़े तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
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इंस्पेक्टर यादव के इस कदम से अब सरकार और उच्च पुलिस अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है कि वे इस मामले की जांच करें और सच्चाई सामने लाएं। फिलहाल, पुलिस विभाग में यह चर्चा जोरों पर है कि कहीं इस इस्तीफे के बाद अन्य अधिकारी और जवान भी विरोध स्वरूप ऐसे ही कदम न उठाएं।
यह मामला न सिर्फ मुरैना बल्कि पूरे प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़ा कर रहा है।