भोपाल
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई शहरों में आने वाले चार माह हवा की गुणवत्ता के लिहाज से चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। पिछले साल अगस्त से दिसंबर के बीच प्रदूषण स्तर में आई भारी गिरावट को देखते हुए इस बार भी हालात गंभीर होने का अंदेशा जताया जा रहा है। बीते वर्ष की रिपोर्ट बताती है कि इस अवधि में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) आठ गुना तक गिर गया था। यानी ठंड बढ़ने के साथ हवा की गुणवत्ता तेजी से बिगड़ी थी। यही वजह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) अभी से अलर्ट मोड पर आ गया है।
सात जगहों पर हो रही हवा की सैंपलिंग
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राजधानी भोपाल में सात अलग-अलग स्थानों पर हवा की गुणवत्ता मापने की व्यवस्था की है। इनमें से तीन जगहों पर रियल टाइम रिपोर्टिंग उपकरण लगे हैं, जो हर घंटे की स्थिति बताते हैं।
- रविवार को पर्यावरण परिसर में AQI 45 दर्ज हुआ।
- कलेक्ट्रेट में 27 और
- टीटी नगर में 40 की रीडिंग सामने आई।
ये सभी आंकड़े फिलहाल ग्रीन जोन में आते हैं, जिसे बेहतर और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हवा माना जाता है। हालांकि, 17 अगस्त को पर्यावरण परिसर में AQI 64 दर्ज किया गया, जो सामान्य से ऊपर था और हवा की गुणवत्ता में गिरावट की ओर इशारा करता है।
प्रदूषण के बढ़ने की बड़ी वजहें
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक सर्दी के मौसम में हवा की गति धीमी हो जाती है। ऐसे में धूल, धुंआ और कचरे के जलने से निकले प्रदूषक तत्व वातावरण में ज्यादा देर तक बने रहते हैं। बोर्ड ने कुछ प्रमुख कारण भी चिन्हित किए हैं—
- कचरा जलाना : सफाई के बाद खुले में कचरा जलाने से धुंआ और जहरीली गैसें निकलती हैं।
- धूल प्रदूषण : सड़कों पर धूल उड़ने से हवा दूषित होती है, इसके लिए पानी का छिड़काव जरूरी है।
- लकड़ी और ठोस ईंधन का जलना : घरों और बाजारों में सर्दी के दौरान आग तापने के लिए लकड़ी जलाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अपील
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साफ कहा है कि यदि अभी से सतर्कता नहीं बरती गई, तो आने वाले चार महीनों में हालात बिगड़ सकते हैं। इसके लिए बोर्ड लोगों को जागरूक करने की योजना बना रहा है।
- खुले में कचरा न जलाने की अपील की जाएगी।
- घर और बाजारों में लकड़ी या कोयला जलाने से बचने की सलाह दी जाएगी।
- सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव कराने की जिम्मेदारी नगर निगम को दी जाएगी।
पर्यावरण संरक्षण के लिए जनजागरूकता अभियान
बोर्ड आने वाले दिनों में विभिन्न इलाकों में जागरूकता अभियान भी चलाएगा। इसमें स्कूल, कॉलेज और सामाजिक संगठनों को जोड़ा जाएगा। स्लोगन, पोस्टर और नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि यदि नागरिक खुद जागरूक हों तो प्रदूषण स्तर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
स्वास्थ्य पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार प्रदूषित हवा में रहने से सांस और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ सकती हैं। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और दमा या एलर्जी के मरीज ज्यादा प्रभावित होते हैं। ठंड में स्मॉग (धुंध और धुएं का मिश्रण) की परत भी बनती है, जिससे दृश्यता घटती है और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी पढ़िए – CLT10 नोएडा: क्रिकेट के मंच पर चमका विंध्य का सितारा प्रिंस वर्मा
कुल मिलाकर, भोपाल और प्रदेश के अन्य शहरों के लिए आने वाले चार माह चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अभी से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन असली जिम्मेदारी नागरिकों पर भी है कि वे अपने स्तर पर पर्यावरण को बचाने के प्रयास करें।