ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
देशभर में जहां इन दिनों मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) में फर्जीवाड़े को लेकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं ग्वालियर जिले के डबरा कस्बे से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। यहां एक पालतू कुत्ते का आधार कार्ड बन जाने का दावा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यह आधार कार्ड धड़ल्ले से वायरल हो रहा है और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
आधार कार्ड पर दर्ज है ‘टोमी जायसवाल’ का नाम
वायरल हो रहे आधार कार्ड में एक कुत्ते की फोटो लगी हुई है। कार्ड पर नाम – टोमी जायसवाल, जन्मतिथि 25 दिसंबर 2010, और पता डबरा के सिमिरिया ताल, वार्ड नंबर 1, कैलाश जायसवाल का घर दर्ज है। पहचान के स्थान पर साफ-साफ लिखा है “डॉग”।
कार्ड पर न केवल नाम और पता दर्ज है बल्कि हूबहू असली आधार कार्ड की तरह उस पर “मेरा आधार, मेरी पहचान” भी लिखा हुआ है। यही वजह है कि पहली नजर में यह कार्ड बिल्कुल असली नजर आता है।
असली या नकली?
सोशल मीडिया पर जैसे ही यह कार्ड वायरल हुआ, लोग चौंक गए और सवाल करने लगे कि क्या अब आधार कार्ड इतने आसानी से बन सकते हैं कि एक कुत्ते का भी बन जाए?
हालांकि जांच में सामने आया है कि कार्ड पर जो आधार नंबर लिखा हुआ है, वह किसी भी मान्यता प्राप्त आधार डाटाबेस से रजिस्टर्ड नहीं है। यानी यह कार्ड पूरी तरह नकली (Fake) है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इतने वास्तविक तरीके से तैयार किया गया यह कार्ड देखकर कई लोग गुमराह हो सकते हैं।


सोशल मीडिया पर हलचल
फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम पर यह कार्ड तेजी से शेयर किया जा रहा है। लोग मजाकिया अंदाज में लिख रहे हैं –
- “अब तो कुत्ते भी वोट डालेंगे।”
- “हमारे आधार कार्ड के लिए महीनों लाइन लगानी पड़ी, और यहां कुत्ते का भी कार्ड बन गया।”
- “अगर यह सच है तो देश में पहचान पत्रों की विश्वसनीयता पर गंभीर खतरा है।”
लेकिन कई यूजर्स इसे फोटोशॉप और एडिटिंग का कमाल बता रहे हैं।
गंभीर सवाल
यह मामला भले ही पहली नजर में मजाकिया लगे, लेकिन इससे जुड़ी चिंताएं गंभीर हैं। देश में कई बार लोग आधार कार्ड बनवाने या उसमें सुधार कराने के लिए महीनों परेशान होते हैं। इसके बावजूद एक नकली आधार कार्ड इतनी आसानी से तैयार होकर वायरल हो जाता है तो यह आधार प्रणाली की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे नकली कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल होने से आम जनता भ्रमित हो सकती है। अगर कोई ठग इसी तरह फर्जी कार्ड का इस्तेमाल करे तो बैंक, सिम कार्ड, राशन और अन्य सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी की आशंका बढ़ जाती है।
प्रशासन की भूमिका
अबतक यह मामला प्रशासन तक भी पहुंच गया है। डबरा क्षेत्र के स्थानीय अधिकारियों ने माना कि वायरल कार्ड नकली है और मजाक के तौर पर तैयार किया गया लगता है। लेकिन अधिकारियों ने साथ ही चेतावनी भी दी कि इस तरह की हरकतें कानूनी अपराध मानी जाती हैं और ऐसे कार्ड तैयार करने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है।
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ग्वालियर के इस “टोमी जायसवाल आधार कार्ड” प्रकरण ने सोशल मीडिया पर हंसी-मजाक जरूर बटोरा है, लेकिन इसके पीछे छिपे सवाल हल्के नहीं हैं। जब आम लोग सही आधार कार्ड बनवाने के लिए मशक्कत करते हैं, तो नकली आधार कार्ड का इतने असली जैसे बनकर वायरल होना पहचान प्रणाली की पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों पर सवाल खड़े करता है।
अब देखना यह होगा कि सरकार और UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) इस तरह के मामलों पर कितनी गंभीरता से कदम उठाता है और आम लोगों को नकली पहचान पत्रों से बचाने के लिए क्या ठोस व्यवस्था करता है।