इंदौर। मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव हॉस्पिटल (एमवायएच) इन दिनों अपनी बदइंतजामी को लेकर सुर्खियों में है। बीते दो दिनों में अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती दो मासूमों की मौत हो गई। हैरानी की बात यह रही कि दोनों ही नवजातों के शरीर को चूहों ने कुतर दिया था। घटना को दबाने की कोशिश में जुटे अस्पताल प्रबंधन की करतूत अब उजागर हो चुकी है। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को खुद दखल देना पड़ा और उन्होंने उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए।
एक हफ्ते से भर्ती थी बच्ची, चूहों ने कुतर डाला
पहला मामला देवास जिले का है। यहां से आई एक नवजात बच्ची पिछले सप्ताह गंभीर हालत में एमवायएच में भर्ती हुई थी। सोमवार को बच्ची को चूहों ने काट लिया। बुधवार को उसकी मौत हो गई। बच्ची के हाथ-पैर बुरी तरह से घायल हो गए थे। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने मामले को छिपाने की कोशिश की और परिजनों को बिना पोस्टमार्टम किए शव सौंप दिया। जब मीडिया तक खबर पहुंची तो प्रबंधन ने तर्क दिया कि बच्ची की मौत चूहे के काटने से नहीं बल्कि आंत की समस्या और पहले से गंभीर स्थिति के कारण हुई है।
धार जिले के नवजात की भी मौत
इसी तरह धार जिले के गढ़ा गांव से भर्ती एक और नवजात की मंगलवार को मौत हो गई। इस मासूम के शरीर पर भी चूहे के काटने के निशान पाए गए। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि उसके पोस्टमार्टम में मल्टीपल ऑर्गन फेल और सेप्टिसिस की पुष्टि हुई। यानी मौत का कारण बीमारी थी, चूहों का हमला नहीं। लेकिन परिजनों और अस्पताल के कुछ स्टाफ का कहना है कि बच्चों की मौत की असली वजह लापरवाही है, जिसे जिम्मेदार छिपा रहे हैं।

मौत छिपाने में जुटा रहा प्रबंधन
दोनों ही मामलों में अस्पताल प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में है। बुधवार सुबह देवास की बच्ची ने दम तोड़ दिया, लेकिन प्रबंधन ने जानकारी दबाए रखी। दोपहर तक परिजनों को बच्ची की हालत गंभीर बताई गई और शाम 4 बजे जाकर मौत की सूचना दी गई। इतना ही नहीं, शव भी बिना पोस्टमार्टम सौंप दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे प्रकरण को दबाने के लिए नर्सिंग स्टाफ को फटकार लगाई, जिसने वीडियो बनाकर मामला उजागर किया था। इसके अलावा तल मंजिल से ऊपर मीडिया के आने पर भी रोक लगा दी गई।
सीएम ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
बुधवार देर रात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर पहुंचे और उन्होंने घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए तुरंत संज्ञान लिया। सीएम ने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए स्थायी समाधान निकाला जाएगा।” उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और इंदौर कलेक्टर को उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
अस्पताल में गहरी जड़ें जमाए बदइंतजामी
एमवायएच का यह मामला एक बार फिर यह दिखा रहा है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में व्यवस्थाएं किस हद तक चरमराई हुई हैं। पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड के 8 बेड वाले स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में चार नवजात भर्ती थे, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। स्टाफ का कहना है कि बरसात में चूहों की संख्या बढ़ जाती है, वहीं परिजन जब बच्चों के लिए बाहर से भोजन लेकर आते हैं तो भी चूहे आकर्षित होते हैं। लेकिन यह अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वह बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सवालों के घेरे में प्रशासन
- आखिर बच्चों को चूहों ने कैसे कुतर लिया, जब वे एनआईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में थे?
- सुरक्षा और स्वच्छता व्यवस्था की जिम्मेदारी किसकी है?
- मौतों के बाद प्रशासन ने घटना को क्यों छिपाने की कोशिश की?
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दो मासूमों की मौत ने न केवल परिजनों का संसार उजाड़ा, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत भी सामने ला दी है। मुख्यमंत्री ने दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त होगी या यह घटना भी कई पुराने मामलों की तरह समय के साथ दब जाएगी।