Homeप्रदेशलोकायुक्त की दबिश, सहायक शिक्षक और चपरासी पर रिश्वतखोरी का जाल

लोकायुक्त की दबिश, सहायक शिक्षक और चपरासी पर रिश्वतखोरी का जाल

मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए लोकायुक्त की कार्रवाइयाँ लगातार जारी हैं। इसके बावजूद सरकारी तंत्र में घूसखोरी की प्रवृत्ति थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला टीकमगढ़ जिले से सामने आया है, जहाँ पलेरा स्थित सीएम राइज स्कूल में मंगलवार को लोकायुक्त सागर की टीम ने बड़ी कार्यवाही की। इस दौरान सहायक शिक्षक और एक चपरासी को एक लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।

मामला सहायक शिक्षक कैलाश खरे और चपरासी शंकरलाल कटारे से जुड़ा है। दरअसल, माध्यमिक शाला बेला में पदस्थ शिक्षक अनिल कुमार खरे ने लोकायुक्त को लिखित शिकायत दी थी। उनका आरोप था कि निलंबन अवधि का वेतन निकलवाने के लिए कैलाश खरे ने उनसे पांच लाख रुपये की मांग की। लंबे बातचीत के बाद यह राशि घटाकर एक लाख रुपये पर तय हुई।

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शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त सागर कार्यालय ने मामले की बारीकी से जांच की और आरोप सही पाए गए। इसके बाद टीम ने जाल बिछाया। 9 सितंबर को फरियादी शिक्षक अनिल कुमार को तय रकम लेकर आरोपी के पास भेजा गया। योजना के अनुसार रुपये चपरासी शंकरलाल के माध्यम से लिए जा रहे थे। जैसे ही रकम सौंपी गई, लोकायुक्त की टीम ने मौके पर दोनों को पकड़ लिया।

लोकायुक्त की इस कार्यवाही ने प्रदेश में एक बार फिर यह संदेश दिया है कि रिश्वतखोरी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बावजूद इसके, यह भी साफ दिख रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और बार-बार ऐसे प्रकरण सामने आ रहे हैं। लगभग हर दूसरे दिन किसी न किसी सरकारी दफ्तर से रिश्वत के मामले पकड़ में आ रहे हैं।

टीकमगढ़ की घटना ने जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। लोकायुक्त अधिकारियों ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है। अब देखना होगा कि जांच में और कौन-कौन से नए खुलासे सामने आते हैं।

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यह प्रकरण इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि रिश्वतखोरी रोकने के लिए सख्ती जरूरी है। लोकायुक्त टीम लगातार सक्रिय है, लेकिन भ्रष्ट तंत्र के सफाए के लिए लंबी लड़ाई अभी बाकी है।

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