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आदिवासी बालक आश्रम अंतरैला : अनुशासन और स्नेह से गढ़ रहा बच्चों का भविष्य

सीधी जिले के आदिवासी क्षेत्र में स्थित आदिवासी बालक आश्रम अंतरैला बच्चों की पढ़ाई, देखभाल और अनुशासन का एक आदर्श केंद्र बन चुका है। जहां सामान्यत: आश्रमों में अव्यवस्था और अस्वच्छता की शिकायतें मिलती हैं, वहीं यह आश्रम अपने बेहतर प्रबंधन और पारिवारिक माहौल से बच्चों और अभिभावकों दोनों का भरोसा जीत रहा है।

यहां बच्चों को निर्धारित मेनू के अनुसार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। अधीक्षक स्वयं पहले भोजन का स्वाद लेकर ही बच्चों को परोसते हैं, जिससे गुणवत्ता बनी रहती है। बच्चों का कहना है कि उन्हें आश्रम में घर जैसा वातावरण मिलता है। कपड़े धोने और बर्तन साफ करने जैसी व्यवस्थाएं भी सुचारु हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं होती|

आश्रम में स्वच्छता और अनुशासन को विशेष महत्व दिया गया है। अधीक्षक खुद बच्चों के बिस्तर व्यवस्थित करवाते हैं और पूरे परिसर की साफ-सफाई सुनिश्चित करते हैं। इसके कारण बच्चे अनुशासित रहते हुए पढ़ाई और खेलकूद दोनों में उत्साह से भाग लेते हैं।

गांव के प्रतिनिधि भी यहां की व्यवस्था से प्रभावित हैं। सरपंच प्रतिनिधि महेंद्र सिंह ने बताया कि वे कई बार आश्रम का निरीक्षण कर चुके हैं और हर बार स्वच्छ और सकारात्मक माहौल देखकर संतुष्ट हुए हैं। उन्होंने यहां परोसे जाने वाले भोजन और सुंदर गार्डन की भी प्रशंसा की, जिसे स्टाफ स्वयं संभालता है।

अंतरैला आश्रम न केवल बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करा रहा है, बल्कि उन्हें सुरक्षित और स्नेहमयी वातावरण भी दे रहा है। यही कारण है कि यहां के बच्चे आत्मविश्वास से भरकर उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

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