उज्जैन: उज्जैन अभी खबरों में बना ही हुआ है किसी न किसी वजह से, अभी उसे मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी बनाया गया, और इसी क्रम में इस बार की महाकाल की सवारियों में भी काफी कुछ अलग देखने को मिल रहा है, इस वर्ष भगवान महाकाल की सवारियों में धर्म और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है. 22 जुलाई को निकली पहली सवारी में आदिवासी कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.



पुलिस बैण्ड की धुनें:
29 जुलाई को निकलने वाली दूसरी सवारी में 350 जवानों का पुलिस बैण्ड अपनी मधुर धुनों से समां बांधेगा। यह बैण्ड भोपाल से विशेष रूप से उज्जैन आएगा और शिप्रा तट पर पूजन के समय दत्त अखाड़ा घाट पर भी अपनी प्रस्तुति देगा।
एक हजार डमरू वादक
5 अगस्त को निकलने वाली तीसरी सवारी में एक हजार डमरू वादक शिव प्रिय वाद्य यंत्र की प्रस्तुति देंगे। साथ ही, शिप्रा के दत्त अखाड़ा घाट पर भारतीय संस्कृति के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी।
व्यवस्थाओं पर जोर
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारियों में बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
डीजे पर प्रतिबंध
कलेक्टर ने सवारी में डीजे के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने सभी मंडलियों को पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे ढोल, मंजीरे, डमरू आदि का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं.


होटल और यात्रीगृहों पर नजर
श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आते हैं. ऐसे में कावड़ यात्रियों के लिए बेहतर व्यवस्था की जा रही है. साथ ही, होटल और यात्रीगृहों पर औचक निरीक्षण किया जा रहा है ताकि यात्रियों से अधिक किराया न वसूला जाए.
भगवान महाकाल की सवारियां धर्म और संस्कृति का एक अनूठा संगम है. इन सवारियों में लोग न केवल भगवान के दर्शन करते हैं बल्कि विभिन्न कलाओं और संस्कृतियों का भी आनंद लेते हैं. प्रशासन द्वारा की जा रही बेहतर व्यवस्थाओं से श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन करने में मदद मिल रही।