करगिल का युद्ध भारत के इतिहास में सबसे बड़े युद्ध में से एक है। पाकिस्तान की सेवा और कश्मीर के पत्थर बाज और उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण पर रेखा से आगे बढ़कर भारत पर कब्जा करने की कोशिश की थी। पाकिस्तान का दावा था कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी लोग हैं। कश्मीर को भारत से आजादी चाहिए। लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों से पाकिस्तान के नेता के बयान से साबित हुआ पाकिस्तान की सेवा इस युद्ध में शामिल थे। लगभग 30000 भारतीय सैनिक और करीब 5000 घुस बैठी इस युद्ध में शामिल थे। भारत के वायु सेवा ने धीरे-धीरे उन सभी स्थानों पर जहां पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां हमले किए और उनको पीछे जाने पर मजबूर किया। दोनों देश की सेना को लड़ने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा परमाणु बम से युक्त भारत और पाकिस्तान के बीच यह पहला शास्त्र संघर्ष था। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराकर कारगिल युद्ध जीता था।

करगिल दिवस का इतिहास
करगिल युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के घुस बैठी इरादे के साथ हुई थी। जब पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी ने भारत की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करना शुरू कर दिया था। मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चले इस कारगिल युद्ध में 527 सैनिक शहीद हुए तो वहीं करीब 1363 जवान घायल हुए थे। 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 750 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए।

करगिल दिवस के अवसर पर बीजेपी युवा मोर्चा मंत्री चुरहट व वार्ड पंच 04 भितरी रघु द्विवेदी के अगुआई मे अमर शहीद दिलीप कुमार द्विवेदी के स्टेचू पर युवाओं युवाओं द्वारा दीप एवं मोम बत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी गई जिसमे गौरव पांडेय अशोक यादव प्रेमशंकर मिश्रा अमित पांडेय मनीष द्विवेदी हर्ष द्विवेदी धीरेंद्र द्विवेदी अरुण तिवारी अमन दुबे ऋषभ द्विवेदी पवन मिश्रा आर्यन दुबे अन्य युवा साथी उपस्थित रहे