Homeखेलमनू भाकर: ओलंपिक्स में आंसुओं से दोहरे पदक तक एक प्रेरणादायक सफ़र

मनू भाकर: ओलंपिक्स में आंसुओं से दोहरे पदक तक एक प्रेरणादायक सफ़र

Paris Olympics: मनू भाकर की कहानी सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि संघर्ष, दृढ़ संकल्प और अदम्य भावना की एक प्रेरणादायक गाथा है। कुछ समय पहले तक टोक्यो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद आंसुओं से गुजरने वाली मनू ने आज पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है। उनके इस उल्लेखनीय परिवर्तन ने साबित किया है कि हार कभी अंत नहीं होती, बल्कि एक नई शुरुआत का मौका होती है।

भारतीय निशानेबाजी ने एक नया अध्याय लिख दिया है। मनू भाकर ने पेरिस ओलंपिक में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एक ही ओलंपिक में दो पदक जीते हैं। यह कारनामा भारतीय खेल जगत के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

ओलंपिक: प्राचीन से आधुनिक तक

ओलंपिक खेलों की जड़ें प्राचीन ग्रीस में मिलती हैं। हर चार साल में एक बार आयोजित होने वाले ये खेल देवताओं के सम्मान में मनाए जाते थे। आधुनिक ओलंपिक खेलों का उदघाटन 1896 में एथेंस से हुआ। तब से लेकर आजतक यह विश्व का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित खेल आयोजन बन गया है।

ओलंपिक में विभिन्न खेलों का समावेश होता है, जिनमें एथलेटिक्स, तैराकी, जिमनास्टिक, बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन, निशानेबाजी, कुश्ती, बॉक्सिंग, जूडो, भारोत्तोलन, साइक्लिंग, रोइंग, सेलिंग, आदि शामिल हैं। समय के साथ खेलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और नए खेलों को शामिल किया गया है।

भारत का ओलंपिक सफर: चुनौतियों से जीत तक

भारत ने 1900 के पेरिस ओलंपिक से ओलंपिक यात्रा शुरू की थी। हालांकि, पहला पदक 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में हॉकी टीम ने जीता था। इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।

भारत का ओलंपिक प्रदर्शन समय के साथ लगातार सुधर रहा है. शुरुआती दशकों में हॉकी का दबदबा रहा, लेकिन बाद के वर्षों में निशानेबाजी, कुश्ती, बैडमिंटन, बॉक्सिंग जैसे खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी छाप छोड़ी है. हर ओलंपिक के साथ पदकों की संख्या में इजाफा हुआ है, जिससे देश में खेलों के प्रति उत्साह बढ़ा है.


भारत के ओलंपिक गौरव: हॉकी से परे

भारतीय खेल इतिहास में हॉकी टीम का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है। लगातार छह ओलंपिक स्वर्ण पदक (1928 से 1956) ने भारत को विश्व पटल पर पहचान दिलाई। इसके अलावा, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। कुश्ती के जांबाज सुशील कुमार और बैडमिंटन की उड़ान भरने वाली महेश्वरी मनोहर ने भी देश के लिए ओलंपिक पदक जीते हैं।

मनू भाकर: एक नई शुरुआत

मनू भाकर ने इन दिग्गजों की कड़ी में अपना नाम जोड़ते हुए भारतीय निशानेबाजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. उनके दोहरे पदक ने न केवल देश को गौरवान्वित किया बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं. यह उपलब्धि भारतीय खेल जगत के लिए एक नये युग की शुरुआत का संकेत देती है।

मनू भाकर की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारतीय खिलाड़ी किसी से कम नहीं हैं. विश्वभर में उसके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन से भारत का मान बढ़ा है. अब उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक पोडियम पर चढ़कर देश का नाम रोशन करेंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी x पर ट्वीट करते हुए मनु भाकर और सरबजोत सिंह को बधाई दी

भारत का ओलंपिक पदक तालिका

भारत ने अब तक कुल 15 ओलंपिक पदक जीते हैं, जिसमें 10 कांस्य, 4 रजत और 1 स्वर्ण पदक शामिल हैं। भारत का एकमात्र स्वर्ण पदक निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने जीता था।

भारत के प्रमुख ओलंपिक पदक विजेता:

  • हॉकी टीम: लगातार छह स्वर्ण पदक (1928-1956)
  • अभिनव बिंद्रा: निशानेबाजी में स्वर्ण पदक (2008)
  • सुशील कुमार: कुश्ती में रजत पदक (2012)
  • महेश्वरी मनोहर: बैडमिंटन में कांस्य पदक (1984)
    निशानेबाजी में दो कांस्य पदक (2024)

भारत के कम पदकों के कारण

भारत के ओलंपिक पदकों की संख्या अन्य शीर्ष खेल राष्ट्रों की तुलना में कम है। इसके कई कारण हैं:

  • खेल संस्कृति: भारत में खेलों को अभी भी शैक्षणिक और करियर विकल्प के रूप में प्राथमिकता नहीं दी जाती है.
  • संसाधन: खेलों के विकास के लिए आवश्यक संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी.
    विश्व स्तर के प्रशिक्षकों और वैज्ञानिक सहायता की कमी।
    खेल नीतियां: स्पोर्ट्स डेवलपमेंट के लिए प्रभावी नीतियों का अभाव।

लेकिन हाल के वर्षों में भारत सरकार और विभिन्न खेल संस्थाओ ने खेलो के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है. इससे उम्मीद है कि भविष्य में भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

ओलंपिक की मेजबानी और महत्व

ओलंपिक खेलों की मेजबानी किसी देश के लिए बहुत बड़ा सम्मान होता है। मेजबान देश को विश्व स्तर पर प्रदर्शन करने का मौका मिलता है और इससे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। ओलंपिक खेलों के लिए एक देश का चयन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा किया जाता है। मेजबानी की दावेदारी करने वाले देशों को विभिन्न मानकों पर खरा उतरना होता है।

ओलंपिक खेलों के इतिहास में कुछ अवसर ऐसे भी रहे हैं जब विभिन्न कारणों से खेलों का आयोजन नहीं हो सका। दो विश्व युद्धों के दौरान ओलंपिक रुक गए थे। इसके अलावा, अन्य चुनौतियों के कारण भी कुछ ओलंपिक स्थगित हुए हैं।

ओलंपिक खेलों का महत्व सिर्फ खेलों तक ही सीमित नहीं है. यह विश्व शांति और एकता का प्रतीक है. विभिन्न देशों के खिलाड़ी एक मंच पर आते हैं और खेल भावना के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. ओलंपिक मूल्यों में सम्मान, उत्कृष्टता, दोस्ती और समानता शामिल हैं. ये मूल्य समाज के हर क्षेत्र में लागू होते हैं.

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