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ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में बढ़ी हिंसा: पिछले सप्ताहांत हुई दसको में अब तक की सबसे बड़ी हिंसा

UK Riots: ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के बाद से समाज में बनी गहरी दरारें और पूर्व कंजर्वेटिव पार्टी सरकारों की अल्पदृष्टि नीतियों का प्रभाव पिछले सप्ताहांत हुए हिंसक दंगों के दौरान खुलकर सामने आया। यह अशांति, आगजनी और लूटपाट — जो कि पिछले एक दशक में सबसे बुरी थी — सोशल मीडिया, विशेषकर X (पूर्व में ट्विटर) पर फैलने वाली गलत सूचनाओं और मुस्लिमों और प्रवासियों के खिलाफ फार-राइट समूहों द्वारा बुलाए गए प्रदर्शनों के बाद हुई।

मामले की शुरुआत तीन युवा लड़कियों की हत्या से हुई, जिसके लिए गलत तरीके से एक मुस्लिम प्रवासी को जिम्मेदार ठहराया गया। जबकि अधिकारियों ने हमलावर के रूप में रुआंडा के माता-पिता से जन्मे एक ईसाई किशोर की पहचान की थी। लिवरपूल, मैनचेस्टर, लीड्स, बेलफास्ट, स्टोक और हल में फार-राइट कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ संघर्ष किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सोशल मीडिया का उपयोग देश के विभिन्न कोनों में तनाव भड़काने के लिए किया जा सकता है।

देश में दर्जनों गिरफ्तारी और गृह सचिव यवेट कूपर की चेतावनी के बावजूद कि दंगों के जिम्मेदार लोग “कीमत चुकाएंगे”, ब्रिटेन में आगे की हिंसा के डर के कारण तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है । कूपर ने कहा कि जिन्होंने यह हिंसा फैलाई है, उन्हें सख्त सजा का सामना करना पड़ेगा। पीएम केयर स्टारमर ने कहा की ये प्रोटेस्ट नही हिंसा है और इसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।

ब्रिटेन इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है, और इस हिंसा ने यह दिखा दिया है कि समाज में ब्रेक्जिट के बाद कितनी गहरी दरारें हैं. देश की सरकार और समाज को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा और समाज में एकता और शांति बनाए रखने के लिए प्रयास करना होगा.

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