भोपाल, 20 अगस्त 2024: कांग्रेस पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की भोपाल यात्रा ने पार्टी के अंदर उथल-पुथल को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। रक्षाबंधन के दिन भोपाल पहुंचे कमलनाथ को सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं ने घेर लिया और उनसे यह मांग की कि वह कांग्रेस का नेतृत्व पुनः संभालें। कार्यकर्ताओं का कहना था कि पार्टी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए केवल कमलनाथ ही कांग्रेस को एकजुट कर सकते हैं।
भोपाल कार्यकर्ताओं की मांग और कमलनाथ की प्रतिक्रिया
भोपाल पहुंचते ही, कमलनाथ के समर्थकों ने जोरदार तरीके से कहा, “कमलनाथ जी, आप ही संभालो कांग्रेस, किसी दूसरे के बस की बात नहीं।” इस पर कमलनाथ ने मुस्कुराते हुए बस इतना कहा, “आप लोग चिंता न करें, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।” हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दी।
समर्थकों ने कमलनाथ को यह भी बताया कि जब से उन्होंने मध्यप्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी छोड़ी है, पार्टी में असंतोष और नेतृत्व संकट बढ़ गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि कमलनाथ को मध्यप्रदेश में अधिक समय देना चाहिए और यहां कांग्रेस आंदोलन का नेतृत्व करना चाहिए, विशेषकर बीजेपी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ।

जीतू पटवारी के पीसीसी चीफ बनने के बाद के घटनाक्रम
कमलनाथ के हाथ से कांग्रेस की बागडोर जीतू पटवारी को सौंपे जाने के बाद से पार्टी के भीतर बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई प्रमुख कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। हाल ही में, रामनिवास रावत, जो पहले पटवारी के साथ कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष थे, अब बीजेपी की मोहन यादव सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बन चुके हैं और श्योपुर की विजयपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस के भीतर संभावित बदलाव
भोपाल में कार्यकर्ताओं द्वारा कमलनाथ से नेतृत्व की मांग यह दर्शाती है कि कांग्रेस पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की संभावना है। कमलनाथ की महिला कार्यकर्ताओं के साथ राखी बंधाने और विभिन्न गतिविधियों से यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी नेतृत्व को लेकर गंभीर विचार-विमर्श किया जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस के वर्तमान संकट के समाधान के लिए पार्टी को एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है, और कमलनाथ की वापसी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या कमलनाथ का नेतृत्व पार्टी के संकट का समाधान कर पाएगा।