दिल्ली:-23 अगस्त, 2024 को यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली की अदालत में होने वाली सुनवाई से ठीक एक दिन पहले पहलवानों की सुरक्षा में कमी का मामला सामने आया है। महिलाओं पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी सुरक्षा में कमी कर दी है, खासकर उस महिला पहलवान की सुरक्षा हटाई गई है, जो बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ गवाही देने वाली थी। इस मामले पर दिल्ली के कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की आलोचना की है और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली यौन उत्पीड़न केस
पिछले साल, कई महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों को लेकर पिछले साल जनवरी में उन्होंने बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कई महीनों तक व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था। इस पूरे घटनाक्रम में बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबाव बना रहा। अप्रैल 2023 में दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पहली FIR दर्ज की और जून में अदालत में चार्जशीट पेश की। इस साल मई में अदालत ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) और धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप तय किए। इसके अतिरिक्त, दो अलग-अलग मामलों में धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत भी आरोप तय किए गए।
हालांकि, 21 अगस्त की रात को जब पहलवानों की सुरक्षा को लेकर स्थिति ने गंभीर मोड़ लिया, तो दिल्ली की अदालत ने दखल दिया। महिला पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सुरक्षा कवर को अचानक हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गवाही देने में असुरक्षित महसूस हो रहा था। वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने अदालत को बताया कि सुरक्षा को रातों-रात वापस ले लिया गया, जिससे अदालत ने तत्काल निर्देश जारी किया कि सुरक्षा कवर को तुरंत बहाल किया जाए।
अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी को अगली सुनवाई के दिन सुरक्षा हटाने के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। अदालत ने सुरक्षा को एक अंतरिम उपाय के रूप में बहाल करने का आदेश दिया, जब तक कि पीड़ित की गवाही पूरी नहीं हो जाती और अदालत के अगले आदेश तक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी ओर से आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सुरक्षा में बदलाव एक रूटीन प्रैक्टिस के तहत किया गया था, जिसमें फायरिंग और ट्रेनिंग के लिए पुलिस को बुलाया गया था। लेकिन अदालत ने इस जवाब को असंतोषजनक मानते हुए सुरक्षा कवर को बहाल करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए। इस मामले ने न्याय प्रणाली और पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर से प्रकाश डाला है, और उम्मीद की जाती है कि अदालत की कार्रवाइयों से पीड़ितों को न्याय मिलेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।